कोरोना महामारी को लेकर चीन फिर से बेनकाब हुआ है। लीक हुए दस्तावेज से पता चलता है कि वह इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. झेंगली चीन की सेना के दो वैज्ञानिकों के साथ संपर्क में थीं। दोनों वैज्ञानिक डॉक्टर झेंगली को कोरोना वायरस पर शोध में मदद कर रहे थे जिसमें एक की मौत हो चुकी है।
दस्तावेज लीक : कोरोना महामारी पर चीन फिर हुआ बेनकाब
वुहान की वायरोलॉजिस्ट पर आरोप लगता रहा है कि उन्होंने चमगादड़ में मिलने वाले कोरोना वायरस पर खतरनाक प्रयोग किए। हालांकि वुहान इंस्टिट्यूट यह बात नकारता रहा है कि उसने सेना के साथ मिलकर कभी काम किया है।
अब एक दस्तावेज से वैज्ञानिकों की मिलीभगत का पता चला है। डॉक्टर सी ने सेना के वैज्ञानिक टोन सॉन् के साथ कोरोना वायरस पर 2018 में काम किया था। इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने जो युसेन के साथ काम किया जिनकी वर्ष 2020 में मौत हो गई
लेकिन कारण पता नहीं चला नए दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि लैब में कोरोना वायरस से जुड़े सभी पुराने आंकड़े और दस्तावेज नष्ट कर दिए थे ताकि वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई इसका दुनिया को पता ना चले वायरस की उत्पत्ति का साक्ष्य जुटाने 2021 में चीन पहुंची डब्ल्यूएचओ की टीम को भी चीन ने इसी तरह से धोखा दिया।
लैब में रहते थे सेना के वैज्ञानिक
अमेरिकी सरकार के पूर्व सलाहकार डेविड ऐशर का कहना है कि चीन की सेना ने एक दो अपने मिशन के लिए पूरी फंडिंग की। जिसमें कोरोना महामारी भी शामिल है। डेविड ने पिछले साल जनवरी में भी दावा किया था कि कोरोना महामारी चीन की लैब से होते हुए दुनिया में फैली है। उनका दावा है कि लैब में काम करने वाले कुछ दूसरे वैज्ञानिकों ने बताया है कि वुहान की लैब में चीन की सेना के वैज्ञानिक भी रहते थे।