वैज्ञानिकों का दावा: टीकाकरण से बनने वाली एंटीबाडी के आगे बेदम हो जाता है कोरोना का डेल्टा वैरिएंट
इसका कोई सबूत नहीं है कि यह वैक्सीन प्रेरित प्रतिरक्षा को चकमा देने में सक्षम है।
कोरोना का डेल्टा वैरिएंट दुनिया के तमाम मुल्कों में कहर बरपा रहा है। अमेरिका में कोरोना का यह वैरिएंट कोहराम मचा रहा है। अमेरिका में एक दिन में कोरोना से 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना से बचाव में टीकाकरण बेहद प्रभावी हथियार है। एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि टीकाकरण के बाद बनने वाली एंटीबॉडी कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ बेहद कारगर है। डेल्टा वैरिएंट इस एंटीबॉडी से बचने में असमर्थ है।
अध्ययन के नतीजे जर्नल इम्यूनिटी में प्रकाशित हुए हैं। यह अध्ययन इस बात की भी तस्दीक करता है कि टीकाकरण करा चुके लोग डेल्टा वैरिएंट के प्रकोप के सबसे बुरे दौर से बचने में क्यों कामयाब हो पाए हैं। अमेरिका में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने फाइजर की कोरोना रोधी वैक्सीन लगवाने वाले लोगों द्वारा उत्पन्न एंटीबॉडी के एक पैनल का विश्लेषण किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना का डेल्टा वैरिएंट उन सभी एंटीबॉडी से बचने में असमर्थ था जिनका उन्होंने परीक्षण किया था।
यही नहीं वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि कोरोना के दूसरे खतरनाक स्वरूप जैसे की बीटा वैरिएंट की पहचान मुश्किल होती है। अक्सर ये जांच में बच निकलते हैं। यही नहीं वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि कोरोना का बीटा वैरिएंट कई एंटीबॉडीज द्वारा बेअसर होने से बच निकलते हैं। हालांकि प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण दोनों से ही स्थाई एंटीबॉडीज बनते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही डेल्टा वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हों लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि यह वैक्सीन प्रेरित प्रतिरक्षा को चकमा देने में सक्षम है।