वैज्ञानिक इस खास जनरेटर की गुत्थी सुलझाने के करीब पहुंचे
वैज्ञानिकों की खबर
पृथ्वी पर ज्यादा बिजली (Electricity) पैदा करने की जरूरत हमेशा बढ़ती रही है. ऊर्जा (Energy) आवश्यकताओं की भी बिजली पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. यहां तक कि जीवाश्म ईंधन के विकल्प को भी विद्युत के रूप में देखा जा रहा है. इसके लिए तमाम तरह सीमित ऊर्जा स्रोतों के विकल्प के तौर अन्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों की खोज भी की जा रही है. लेकिन इसके अलावा पृथ्वी के वायुमंडल (Atmosphere) में केवल 80 किलोमीटर ऊपर भी विद्युत का एक स्रोत मौजूद है. वैज्ञनिकों ने इस पृथ्वी के आकार के इलेक्ट्रिक जनरेटर को वायुमंडलीय डायनामो का नाम दिया है. '
कहां है यह धारा
यह विद्युत धारा वायुमंडल में उस स्थान पर बह रही है जहां वायुमंडल का अंत और अंतरिक्ष की शुरुआत होती है. यह इलाका हमारे वायुमंडल के आयनमंडल में पड़ता है. इस बारे में हमारे वैज्ञानिकों को बहुत की कम जानकारी थी. लेकिन अब वैज्ञानिक इसे पूरी तरह से समझने के बहुत करीब पहुंच चुके हैं.
एक अभियान का दूसरा चरण
इसके लिए वैज्ञानिक डायनामो-2 अभियान प्रक्षेपित करने की तैयारी कर चुके हैं. इससे पहले साल 2013 में इस अभियान का पूर्ववर्ती यान प्रक्षेपित किया गया था. डायनामो-2 अभियान उन हवाओं में पहुंचेगा जो इन डायनामो को सक्रिय बनाए रखती हैं. गौर करने वाली बात यह है कि यह कोई अकेला प्रयास नहीं हैं इस विशाल विद्युत सर्किट के रहस्यों पर से पर्दा उठाने का प्रयास कर रहा है. बल्कि नासा का आयनोस्फियरिक कनेक्शन एस्कप्लोरर (ICON) सैटेलाइट भी इसके पास से गुजरेगा.
क्या है यह वायुमंडलीय डायनामो
वायुमंडलीय डायनामो हवा में चलने वाले महाद्वीपीय आकार के विद्युतीय धाराओं का मिश्रणहोती हैं. ये धाराएं आयनमंडल में वहां ज्यादा चलती हैं जहां ऊपर की ओर सूर्य हो. सूर्य के तीव्र विकरण परमाणुओं से उनके इलेक्ट्रॉन को अलग कर देती है जिससे विद्युत प्रवाह बन जाता है. इस तरह यह वायुमंडलीय डायनामो उन्हीं सिद्धांतों पर चल रहा है जिस पर एक तरह का विद्युत जनरेटर चलता है.
कैसे काम करता है आम डायनामो
डायनामो की आविष्कार महान वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने किया था. इसमें एक कॉपर की तश्तरी होती है जो दो मैग्नेट के बीच में धूमती है. इस डिस्क को उन्होंने विद्युत धारा नापने वाले यंत्र से जोड़ा और पाया कि जब डिस्क घूमती है तो विद्युत धारा पैदा होती है. फैराडे के इस आविष्कार ने दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया था.
तीन प्रमुख अवयव, तीनों वायुमंडल में भी
डायनामों में तीन खास चीजें काम करती हैं- एक मैग्नेटिक फील्ड, एक सुचालक और गतिविधि. वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये तीनों ही चीजें पृथ्वी के वायुमंडल में भारी मात्रा में मिलती हैं. इनमें से सबसे पहले पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड की खोज हुई थी. इसके बाद 1927 में अंग्रेज भौतिकविद एडवर्ड एपलटन ने रेडियो तरंगों की मददसे जाना का वायुमंडल में विद्युत सुचालक परत मौजद है.
2013 में भेजा गया था पहल अभियान
पहला डायनामो अभियान का प्रक्षेपण साल 2013 में नासा के साथ जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा और बहुत से अमेरिकी विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने प्रक्षेपित किया था जिससे वे इस प्राकृतिक परिघटना को समझ सकें. इसमें दो साउंडिंग रॉकेट को 15 सेकेंड के अंतर पर हवा और विद्युत प्रवाह को नापने वाले उपकरणों के साथ प्रक्षेपित किए गए थ. इन्होंने अंतरिक्ष से पृथ्वी पर गिरने से पहले थोड़े समय के लिए मापन किया था. वहीं रॉकेट से निकले धुंए ने बदलती हवा के बारे में जानकारी दी.
इन मापन से इस बात की पुष्टि हुई कि जमीन से निकलने वाली ऊष्मा तरंगों के रूप में विकिरणित होती है. जिससे वायुमंडल के हिस्से समुद्री लहरों की तरह ऊपर नीचे होते हैं. अब वैज्ञिनिकों ने इस घटना के अध्ययन के लिए साउंडिंग रॉकेट की टीम और सैटेलाइट को अध्ययन करने एक साथ रखा है. ICON सैटेलाइट अभफियान अक्टूबर 2019 में प्रक्षेपित हुआ था. और उसने उन आयनमंडल की हवाओं का नापा जो डायनामो-1 ने नीचे से नापे थे. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे हवाओं को बहुत तेज बहाने वाले कारकों को जानने के साथ वायुमंडलीय डायनामो को भी पूरी तरह से समझने में सफल होंगें