वैज्ञानिक ने कहा- ब्रह्माण्ड की नहीं हुई थी कोई शुरुआत

कहा जाता है कि ब्रह्माण्ड (Universe) की शुरुतात हुई थी

Update: 2021-10-12 16:15 GMT

कहा जाता है कि ब्रह्माण्ड (Universe) की शुरुतात हुई थीकहा जाता है कि ब्रह्माण्ड (Universe) की शुरुतात हुई थी. ब्रह्माण्ड के बारे में माना जाता है कि उसकी उत्पत्ति बिग बैंग की घटना से हुई थी. लेकिन ऐसा ही भी हो सकता है कि कोई शुरुआत ही ना हुई हो, बल्कि यह हमेशा ही मौजूद रहा हो. यह दावा क्वांटम गुरुत्व के नए सिद्धांत ने किया है जिसमें बताया गया है कि यह कैसा काम करता है. यूके में लिवरपूल यूनिवर्सिटी के भौतिकविद ब्रूनो बेन्टो जो समय की प्रकृति का अध्ययन कर रहते हैं. उन्होंने अपने इस नई क्वांटम गुरुत्व (Quantum Gravity) सिद्धांत को बताया है जिसमें समय और स्पेस दोनों को अलग अलग दिक-काल (Space-Time) में बांटा है.


स्पेस टाइम ईकाई

बेंटो का कहना है कि वास्तविकता के पास इतनी ज्यादा चीजें हैं कि बहुत लोग उसे विज्ञान फंतासी और यहां तक कि कल्पनाशीलता से जोड़ लेते हैं. बेंटो के इस सिद्धांत के मुताबिक दिक-काल (Space-Time) एक स्तर पर आधारभूत ईकाई है. बेंटो और उनके साथियों ने अपने इस दृष्टिकोण को कैजुअल सेट दृष्टिकोण नाम दिया है.

ब्रह्माण्ड की शुरुआत

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने इस धारणा का उपयोग ब्रह्माण्ड की शुरुआत को समझने में लगाया और पाया कि यह पूरी तरह से संभव है कि ब्रह्माण्ड की कोई शुरुआत ही ना हुई हो. वह अपने अनंत इतिहास के साथ हमेशा ही मौजूद है और हम सब जिसे बिग बैंग कहते हैं वह उसमें हुई हाल ही की घटना रही हो.

दो विशिष्ट सिद्धांत

क्वांटम गुरुत्व शायद आधुनिक भौतिकी में सबसे परेशान करने वाली समस्याएं मानी जाती हैं. भौतिकी में ब्रह्माण्ड की व्याख्या करने वाले भी दो विशिष्ट सिद्धांत हैं. एक है क्वांटम भौतिकी और दूसरा है सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत. जहां क्वांटम भौतिकी प्रकृति के मूल चार बलों में तीन (विद्युत चुंबकीय, क्षीण बल, शक्तिशाली बल) की सफल व्याख्या करता है. वहीं सामान्य सापेक्षता ने गुरुत्व की सबसे विस्तृत और शक्तिशाली व्याख्या की है.

सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत अपूर्ण

अपनी तमाम मजबूतियों के साथ सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत अपूर्ण है. ब्रह्माण्ड में कम सेकम दो जगह पर सामान्य सापेक्षता का गणित नाकाम हो जाता है और विश्वसनीय नतीजे नहीं दे पाता है. ये दो हैं,- ब्लैकहोल के केंद्र और ब्रह्माण्ड की शुरुआत. इन क्षेत्रों को सिंगुलरिटी (Singularities) कहा जाता है.

सिग्युलरिटी का रहस्य

सिग्युलरिटी वह दिक काल में वह स्थान है जहां भौतिकी के नियम नाकाम हो जाते हैं. वे एक गणितीय चेतावनी के संकेत हैं कि सामान्य सापेक्षता खुद ही नाकाम हो जाता है. इन दोनों ही सिंग्युलरिटी में गुरुत्व बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हो जाता है और वह भी लंबाई के बहुत ही छोटे पैमाने पर. सिंग्युलरीटी के इन रहस्यों को सुलझाने के लिए सूक्ष्म स्तर पर शक्तिशाली गुरुत्व की व्याख्या की जरूरत है.


अलग अलग दृष्टिकोण

लिए सूक्ष्म स्तर पर शक्तिशाली गुरुत्व की व्याख्या को ही गुरुत्व का क्वांटम सिद्धांत कहते हैं. यह व्याख्या कई तरह से की जाती है जिसमें स्ट्रिंग सिद्धांत और लूप क्वांटम गुरुत्व शामिल हैं. इनके अलावा एक और भी दृष्टिकोण है जो समय और स्पेस की धारणा को फिर से परिभाषित करता है, उस दृष्टिकोण को कैजुअल सेट सिद्धांत कहते हैं.

स्पेस टाइम की निरंतरता

भौतिकी के सभी वर्तमान सिद्धांतों में समय, और स्पेस निरतंर होते हैं. वे एक तरह का निरंतर संरचना बनाते हैं जिसमें पूरी वास्तविकता मौजूद रहती है. ऐसे निरंतर स्पेसटाइ में दो बिंदु अंतरिक्ष में बहुत अधिक पास हो सकते हैं और दो घटनाएं दो निकटतम समय में घटित हो सकती है. लेकिन कैजुअल सेट सिद्धांत में स्पेस टाइम को अलग अलग भागों की शृंखला में माना जाता है क्योंकि वे परमाणु के आकार से ज्यादा पास नहीं हो सकते हैं.

एक परमाणु के बाद

यह बिलकुल ऐसा ही है कि कोई तस्वीर वैसे तो स्क्रीन पर निरंतर दिखती है, लेकिन विशालक लैंस से देखने पर उसके पिक्सल स्पेस को अलग अलग बांटते दिख रहे होते हैं. पिक्सल में निरंतरता लाना असंभव हो जाता है. बेंटो को इसी सिद्धांत ने बहुत आकर्षित किया. इस सिद्धांत के मुताबिक एक कैजुअल सेट एक परमाणु पैदा करेगा और बड़ा होता जाएगा. सिद्धांत के मुताबिक समय का बीतना भौतिक चीज है.

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कैजुअल सेट दृष्टिकोण बिगबैंग सिंग्युलरिटी की समस्या को हटा देता है क्योंकि सैद्धांतिक तौर पर सिंग्युलरिटी जैसी किसी चीज का अस्तित्व ही नहीं होता है. पदार्थ के लिए यह असंभव है कि वह अनंत बिंदु तक सिमटता जाए. वह स्पेस टाइम परमाणु से छोटा हो ही नहीं सकता. बेंटो ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या इस दृष्टिकोण में शुरुआत का अस्तित्व है. उन्होंने पाया शुरुआत की जगह ब्रह्माण्ड का अन्त इतिहास होना चाहिए यानि हमेशा ही पहले कुछ ना कुछ रहा होगा.
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