एलियंस को लेकर वैज्ञानिक ने किया बड़ा दावा, सूरज की तरह ही दिखने वाले तारे से आया था 'wow'

माना जा रहा है कि इस संकेत को वहां से धरती तक आने में ही सदियां लग गई होंगी। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि संभव है किसी प्राकृतिक घटना के कारण यह सिग्नल आया हो।

Update: 2022-05-30 09:57 GMT

लंदन: एलियंस को लेकर एक वैज्ञानिक ने बड़ा दावा किया है। वैज्ञानिक ने कहा है कि एक रहस्यमय संकेत हमारे जैसे ही एक दूसरे सौरमंडल से एलियंस ने लगभग आधी सदी पहले भेजा था। इसे WOW (वाह) सिग्नल के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त 1977 को रेडियो सिग्नल रिसीव किया गया। जो करीब एक मिनट लंबा था। इस सिग्नल पर वैज्ञानिक सालों तक काम करते रहे।

इस सिग्नल में हालांकि एलियंस ने वाह नहीं कहा था, बल्कि खगोलविद जेरी एहमन ने सिग्नल देखने के बाद डेटा के प्रिंटआउट पर wow लिखा था। सिग्नल मिलने के बाद वैज्ञानिक सच में वाह ही कह रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सिग्नल बाकी सिग्नल की तुलना में 20 गुना ज्यादा मजबूत थे। SETI द्वारा पकड़े गए सिग्नल में ये अब तक सबसे बेहतर माना जाता है।
45 साल बाद पता चला सिग्नल का सोर्स
एलियंस की खोज कर रहे कई वैज्ञानिक मानते हैं कि ये पृथ्वी के साथ उनका पहला संपर्क हो सकता है। लेकिन अब 45 साल बाद गखोलशास्त्री अल्बर्टो कैबलेरो मानते हैं कि उन्हें सिग्नल का स्रोत मिल गया है। उन्होंने एक तारे को अलग किया है जो लगभग सूर्य के ही आकार का है। इस तारे का नाम 2MASS 19281982-2640123 है। उनका मानना है कि संकेत वहीं से आया है। कैबलेरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के गैया मिशन (Gaia Mission) द्वारा खींची गई आकाशगंगा की तस्वीरों को खंगाला।
सिग्नल को आने में लगी होंगी सदियां
उन्होंने अपनी रिसर्च को दो क्षेत्रों में सीमित कर दिया जहां से सिग्नल आ सकता था। उन्होंने कहा कि इस सिग्नल को उस सितारे की ओर से आना इसलिए माना जा सकता है क्योंकि ये भी हमारे सूर्य के बराबर है। इसका आकार और तापमान भी लगभग बराबर ही है। यह हमारी पृथ्वी से 1800 प्रकाश वर्ष दूर है। माना जा रहा है कि इस संकेत को वहां से धरती तक आने में ही सदियां लग गई होंगी। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि संभव है किसी प्राकृतिक घटना के कारण यह सिग्नल आया हो।

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