पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर देगा सऊदी अरब, सेंट्रल बैंक का खजाना हुआ खाली
पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर देगा सऊदी अरब
नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से जल्द ही तीन अरब डॉलर का कर्ज मिलेगा. इस बीच, प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई में मंत्रिमंडल ने इस राशि को देश के केंद्रीय बैंक में रखने की सहमति दी है. 'जियो न्यूज' की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) में तीन अरब डॉलर का भंडार रखने का वादा किया था.
समझौते के अनुसार, सहायता राशि SBP के जमा खाते में एक साल तक रहेगी. आधिकारिक सूत्रों ने 'द न्यूज' को बताया, ''SBP ने सभी प्रक्रियाओं को अंतिम रूप दे दिया है और अब सब कुछ ठीक है और यह राशि अगले कुछ दिन में प्राप्त हो जाएगी.'' एक आधिकारिक दस्तावेज के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सऊदी अरब से तीन अरब डॉलर की सहायता राशि को SBP में रखने को मंजूरी दे दी है. वित्त पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के प्रवक्ता मुजम्मिल असलम ने कहा कि पाकिस्तान अगले 60 दिन में सिर्फ तीन स्रोतों से सात अरब डॉलर प्राप्त करने की उम्मीद कर रहा है.
1.5 अरब डॉलर का तेल भी उधार मिलेगा
एक अन्य रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि सऊदी सरकार तत्काल एक साल के लिए पाकिस्तान के खाते में तीन अरब अमेरिकी डॉलर जमा करेगी और कम से कम अक्टूबर 2023 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) कार्यक्रम के पूरा होने तक इसे जारी रखा जाएगा. इसके अलावा सऊदी सरकार हर साल 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक का तेल उधार देगी.
पाकिस्तान पर 116 अरब डॉलर का कर्ज
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार डूबती जा रही है. शुक्रवार को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उससे पूरे देश की चिंता बढ़ गई है. वहीं, इमरान खान लगातार विश्व बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड से कर्ज लेते जा रहे हैं. 31 दिसंबर, 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान पर कुल 115.756 अरब डॉलर का कर्ज था.
करेंट अकाउंट डेफिसिट 1.6 अरब डॉलर
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने अपनी नई रिपोर्ट में बताया है कि इस वर्ष अक्टूबर में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़कर 1.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. यह आंकड़ा सितंबर की तुलना में काफी अधिक है. इसे पाकिस्तान की जीडीपी का 4.7 फीसदी बताया जा रहा है. पाकिस्तान सरकार ने इस साल चालू खाता घाटे को जीडीपी का दो से तीन फीसदी रखने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन यह सभी सीमाओं को तोड़ते हुए लक्ष्य से लगभग दो गुनी ऊंचाई पर पहुंच गया है.