खरीदना होगा महंगा तेल! रूस की तेल कंपनी ने भारत को दिया झटका

Update: 2022-06-09 08:19 GMT
न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से कई यूरोपीय देशों ने रूस के तेल पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस बीच भारत, रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीद रहा था.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की दो सरकारी तेल कंपनियों की रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से तेल खरीद को लेकर बातचीत चल रही थी. हालांकि, अब रूस की तेल कंपनी ने भारत की इन तेल कंपनियों से सौदे को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
सूत्रों ने बताया कि रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने यह कदम अन्य ग्राहकों को तेल सप्लाई की मांग को पूरा करने के लिए उठाया है.
दरअसल रोसनेफ्ट पहले ही इन तेल ग्राहकों को तेल की सप्लाई का वादा कर चुका था. अब रूस के पास इतना अतिरिक्त तेल नहीं है कि वह भारत की कंपनियों को वह बेच सके.
रूस की कंपनी के साथ यह सप्लाई सौदा नहीं होने से भारतीय कंपनियों को स्पॉट मार्किट से अधिक मंहगा तेल खरीदना पड़ सकता है.
यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन इसके बावजूद रूस अपना तेल धड़ल्ले से बेच रहा है.
रूस से सस्ते दाम पर तेल खरीदने के लिए भारत की तीन सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्प (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्प (बीपीसीएल) और हिदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) ने इस साल की शुरुआत में रोसनेफ्ट के साथ बातचीत शुरू की थी.
इसके तहत छह महीने के लिए रूस से तेल की सप्लाई होने के लिए समझौता होना था.
सूत्रों का कहना है कि अब तक भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने ही रोसनेफ्ट के साथ डील की है. इसके तहत रूस की तेल कंपनी से हर महीने 60 लाख बैरल तेल खरीदा जाएगा.
इसके साथ ही 30 लाख बैरल और तेल खरीदने का भी विकल्प खुला है.
भारतीय तेल कंपनी एचपीसीएल और बीपीसीएल को झटका
इसके अलावा भारत की बाकी दो सरकारी तेल कंपनियों के तेल खरीदने के अनुरोध को रूस की कंपनी ने ठुकरा दिया है.
सूत्रों का कहना है, तेल को लेकर रोसनेफ्ट का एचपीसीएल और बीपीसीएल से कोई समझौता नहीं हुआ है. इन कंपनियों का कहना है कि इनके पास तेल नहीं बचा है.
इंडियन ऑयल के साथ समझौते के तहत भुगतान सभी प्रमुख करेंसी रुपये, डॉलर और यूरो में होगा. यह लेनदेन के समय भुगतान मैकेनिज्म पर निर्भर करेगा.
रूस अपने पूर्वी बंदरगाह कोजमिनो से तेल का निर्यात बढ़ रहा है. वह एशियाई देशों से मांग बढ़ने की वजह से ऐसा कर रहा है.
ट्रेड सूत्रों का कहना है कि रोसनेफ्ट ट्रेडिंग कंपनियों एवरेस्ट एनर्जी, कोरल एनर्जी, बेलाट्रिक्स और सनराइज के जरिये बजाार में तेल की सप्लाई बढ़ा रहा है.
भारत को अब नहीं मिलेगा भारी छूट पर तेल
भारतीय सूत्रों का कहना है कि भारत को अब रूस का तेल भारी छूट पर नहीं मिलेगा. रूस अब भारी छूट पर तेल भारत को नहीं बेचेगा.
एक अन्य सूत्र ने कहा, पहले भारतीय तेल कंपनियों को रूस से भारी छूट पर तेल मिल रहा था लेकिन अब ऐसा नहीं है.
रूस ने भारी छूट के प्रस्ताव कम कर दिए हैं और अब उस तरह की छूट का लाभ भारत को नहीं मिलेगा. इसकी वजह बीमा और माल ढुलाई किराये का बढ़ना है.
पिछले हफ्ते यूरोपीय यूनियन ने रूस का तेल ट्रांसपोर्ट करने के लिए नए बीमा कॉन्ट्रैक्ट पर बैन लगा दिया था.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मरीन मार्किट पर यूरोपीय यूनियन का ही दबदबा है.
सूत्रों का कहना है कि तेल के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर बीमा नहीं होने से भारतीय तेल कंपनी इंडियन ऑयल पर इसका असर पड़ेगा.
इंडियन ऑयल पिछले साल रोसनेफ्ट के साथ हुई कॉन्ट्रैक्ट के तहत रूस का तेल खरीद रहा है.
सूत्रों का कहना है कि भारत बड़े पैमाने पर रूस का तेल यूरल्स खरीदता है.
भारतीय तेल कंपनियों स्पॉट मार्किटे से तेल खरीदना जारी रखेंगी. एचपीसीएल और बीपीसीएल को जुलाई में रूस का लगभग 10 लाख से 20 लाख बैरल तेल मिल सकता है.

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