रूसी परमाणु पनडुब्बी कुर्स्क एक विस्फोट के बाद डूबी, 118 सैनिकों की मौत
खराब रखरखाव वाले उपकरण की वजह से ये हादसा हुआ.
रूस (Russia) के इतिहास में आज का दिन बेहद ही दुखद है, क्योंकि आज ही के दिन 21 साल पहले एक पनडुब्बी हादसे में 118 सैनिकों की मौत हो गई थी. दरअसल, एक रूसी परमाणु पनडुब्बी (Russian nuclear submarine) 12 अगस्त 2000 को बैरेंट्स सागर (Barents Sea) के तल में डूब गई. इस दौरान इसमें सवार चालक दल के सभी 118 सदस्य मारे गए. रूसी परमाणु पनडुब्बी कुर्स्क (Kursk Nuclear Submarine) रूसी सेना (Russian Army) के साथ एक सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए 10 अगस्त को बंदरगाह से रवाना हुई.
रूसी जहाजों, विमानों और पनडुब्बियों को सैन्य युद्धाभ्यास के लिए आर्कटिक सर्कल (Arctic Circle) के ऊपर बेरेंट्स सागर में मिलना था. 12 अगस्त को सुबह 11.19 बजे कुर्स्क को सैन्यअभ्यास के दौरान एक तारपीडो फायर करना था. ऐसा करने से पहले ही पनडुब्बी के सामने के पतवार में दो धमाके हुए. इसके बाद पनडुब्बी समुद्र के तल की ओर जाने लगी. कुर्स्क पनडुब्बी 500 फीट लंबी थी और इसका वजन 24,000 टन था. इसमें दो परमाणु रिएक्टर थे और ये 28 समुद्री मील की रफ्तार तक पहुंच सकती थी. ये दुनिया की सबसे बड़ी हमला करने वाली पनडुब्बी थी. जो अमेरिकी नौसेना की सबसे बड़ी पनडुब्बी के आकार का लगभग तीन गुना थी.
गोताखरों को नहीं मिला एक भी व्यक्ति जिंदा
पनडुब्बी के डूबने पर दुनिया के कई देशों ने बचाव अभियान में मदद करने की पेशकश की, मगर रूसी सरकार ने किसी भी तरह की मदद से इनकार कर दिया. एक हफ्ते की कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार गोताखोर कुर्स्क तक पहुंचे, लेकिन उन्हें कोई भी जिंदा नहीं मिला. देश में बढ़ते दबाव के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पनडुब्बी को समुद्री तल से उठाकर ऊपर लाने को लेकर हामी भरी. हालांकि, इससे पहले कभी समुद्र तल से उस आकार का कोई भी जहाज या वस्तु बरामद नहीं की गई थी. इसके अलावा, ये देखते हुए कि बैरेंट्स सागर अधिकांश वर्ष के लिए जमा हुआ रहता है. इस ऑपरेशन को करने के लिए बहुत ही कम समय था.
इस वजह से डूबी पनडुब्बी
सबसे अच्छी उपलब्ध तकनीक और विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम का उपयोग करते हुए कुर्स्क को हादसे के लगभग एक साल 26 सितंबर, 2001 को सतह पर लाया गया. दुर्भाग्य से टीम को पनडुब्बी को सतह पर लाने के लिए पनडुब्बी के सामने के पतवार को काटना पड़ा. इस वजह से विस्फोट के असल कारणों का पता लगाना मुश्किल हो गया. इस हादसे के दो साल बाद सरकार की शीर्ष-गुप्त जांच की समरी को रूस के रोसिस्काया गजेटा अखबार ने जारी किया. इसमें पता चला कि लापरवाही, अक्षमता और कुप्रबंधन के साथ-साथ नियमों का उल्लंघन और खराब रखरखाव वाले उपकरण की वजह से ये हादसा हुआ.