Russia Ukraine War: ..तो क्या खत्म हो जाएगा मध्य यूरोप का अस्तित्व
Russia Ukraine Warअंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का कहना है कि इतने बड़े और स्थापित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों वाले दो देशों के बीच पहली बार युद्ध हो रहा है। जपोरीजिया संयंत्र की छह इकाइयों में से प्रत्येक की क्षमता 1000 मेगावाट बिजली या कुल 6.0 गीगावाट बिजली पैदा करने की है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूक्रेन के जपोरीजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूस ने कब्जा कर लिया है। यूरोप के इस सबसे बड़े परमाणु संयंत्र के बाहरी हिस्से में लगी आग से दुनिया में सनसनी फैली, लेकिन अब आग को काबू किया जा चुका है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र से भले ही काफी सुरक्षित बना हो, लेकिन युद्ध के वर्तमान हालात में एक छोटी सी चिंगारी कभी भी मध्य यूरोप के लिए भारी मुसीबत बन सकती है। आइए जानते हैं कि इस परमाणु संयंत्र पर रूसी कब्जे और इसकी सुरक्षा में चूक के क्या मायने हैं:
चिंता नहीं हुई है कम: परमाणु सुरक्षा विशेषज्ञ और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने कहा है कि फिलहाल जपोरीजिया खतरे से बाहर है। जपोरीजिया की बनावट चेनरेबिल से अलग है। इसकी सुरक्षा प्रणाली काफी उन्नत है जो इसे आग से सुरक्षित रख सकती है। हालांकि ओबामा प्रशासन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में वरिष्ठ निदेशक रहे जान वोल्फस्टल ने कहा है कि परमाणु संयंत्र के करीब युद्धक गतिविधि कभी भी किसी बड़ी अनहोनी की वजह बन सकती है।
बन सकता है एक और फुकुशिमा: यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा नियामक को यह चिंता खाए जा रही है कि अगर युद्ध के चलते परमाणु संयंत्र की बिजली आपूर्ति बाधित हुई तो इसके कूलिंग सिस्टम को चलाए रखने के लिए कम भरोसेमंद डीजल चालित जनरेटर पर डालना पड़ेगा। अगर वह सिस्टम विफल होता है तो जापान के फुकुशिमा संयंत्र जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, जब 2011 में आई सुनामी ने जापान के फुकुशिमा संयंत्र के कूलिंग सिस्टम को तबाह कर दिया था। इस घटना में फुकुशिमा के तीन रिएक्टर खराब हो गए थे।
यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र: जपोरीजिया यूक्रेन के चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सबसे बड़ा है, जो एक साथ देश की करीब 20 प्रतिशत बिजली की जरूरत को पूरी करता है।
क्रीमिया से बेहद नजदीक: इस ऊर्जा संयंत्र क्रीमिया से महज 200 किमी दूर स्थित है। क्रीमिया वही क्षेत्र है जिसे 2014 में रूस ने यूक्रेन से हथियाया था।
इसलिए विनाश की है चिंता: जपोरीजिया में रूस के हमले में बाद उसके बाहरी हिस्से में आग लगी, लेकिन उसे बुझा दिया गया है। अगर आग न बुझाई गई होती तो यह परमाणु रिएक्टर को अपनी चपेट में ले सकती थी। इससे संयंत्र में बड़ा धमाका होने की आशंका खारिज नहीं की जा सकती थी। परमाणु ऊर्जा के जानकारों के अनुसार अगर यहां धमाका होता तो यह चेर्नोबिल में हुए हादसे से 10 गुना ज्यादा भयावह होता। 1986 में चेनरेबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुए धमाके के बाद रेडिएशन का असर आज तक जीवन बर्बाद कर रहा है। चेनरेबिल में केवल एक ही यूनिट ने इतनी तबाही मची थी। जपोरीजिया की छह यूनिटें अगर धमाके की चपेट में आतीं तो पूरा मध्य यूरोप तबाह हो सकता था।