रूस ने जंग में उतारे चेचन स्पेशल फोर्स के 'शिकारी', मिला अधिकारियों की हत्या का ऑर्डर, जानें इनके बारे में...

Update: 2022-02-28 10:05 GMT

Who are Chechen Forces: रूस और यूक्रेन में जंग के बीच चेचेन फोर्स की चर्चा भी हो रही है. चेचन फोर्स दक्षिणी रूस में स्थित छोटे से देश चेचन्या के लड़ाके हैं. चेचन्या इस वक्त रशियन फेडरेशन का हिस्सा है.

चेचन्या के राष्ट्रपति रमजान केदिरोव (Ramzan Kadyrov) ने यूक्रेन में चेचेन लड़ाके भेजने का ऐलान किया है. केदिरोव ने एक वीडियो मैसेज जारी कर दावा किया है यूक्रेन में ऑपरेशन के दौरान उसके अभी तक एक भी लड़ाके की न तो मौत हुई है और न ही कोई घायल हुआ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने सही फैसला लिया है और हम उनके आदेश का पालन करेंगे.
यूक्रेन में चेचेन फोर्स के कितने लड़ाके मौजूद हैं, इसका सही आंकड़ा तो नहीं है. लेकिन रूसी न्यूज एजेंसी RT का दावा है कि यूक्रेन में करीब 12 हजार चेचेन लड़ाके मौजूद हैं और वो पुतिन के आदेश का इंतजार कर रहे हैं.
वहीं, ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट Dailymail की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस ने चेचेन लड़ाकों को यूक्रेन के अधिकारियों की एक लिस्ट दी है. उन्हें इस लिस्ट में यूक्रेन के जिन अधिकारियों के नाम लिखे हैं, उन्हें पकड़ने का आदेश दिया है. साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी हिरासत में आने से मना करे तो उसे मार दिया जाए.
ये चेचेन फोर्स कौन हैं? इन्हें जानने से पहले रूस और चेचन्या के रिश्तों को समझना जरूरी है.
- चेचन्या पूर्वी यूरोप के कॉकस क्षेत्र के उत्तरी भाग में स्थित है. चेचन्या आज भले ही रशियन फेडरेशन का हिस्सा है, लेकिन कभी चेचन्या के लड़ाके रूस के खिलाफ थे.
- चेचन्या मुस्लिम बहुल देश है. इसने 1919 में सोवियत संघ से अपनी आजादी की घोषणा कर दी थी. लेकिन सोवियत संघ ने चेचन्या पर हमला कर दिया. तत्कालीन सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन (Joseph Stalin) ने चेचन्या के लोगों को सर्बिया जाने का आदेश दे दिया. कुछ सालों बाद जब निकिता ख्रुश्चेव (Nikita Khrushchev) सोवियत के नेता बने तो उन्होंने चेचन्या के लोगों को लौटने को कहा.
- जब तक सोवियत संघ रहा तब तक चेचन्या अपनी आजादी के लिए लड़ता रहा. दिसंबर 1991 में जब सोवियत संघ टूटा तो चेचन्या अलग देश बन गया. लेकिन इस छोटे से देश पर रूस की नजर हमेशा रही. 1994 में रूस ने चेचन्या पर हमला कर दिया, लेकिन इस लड़ाई में रूस की हार हुई.
ऐसे बिगड़े और फिर सुधरे रूस और चेचन्या के रिश्ते
- मार्च 1999 में चेचन्या में रूस के शीर्ष दूत रहे जनरल गेनादी श्पिगुन (Gennadiy Shpigun) का ग्रोजनी एयरपोर्ट से अपहरण कर लिया गया. एक साल बाद मार्च 2000 में उनकी लाश बरामद हुई.
- जुलाई-अगस्त 1999 में चेचन्या के लड़ाकों और रूसी सेना के बीच हिंसक झड़प शुरू हुई और इसी के साथ रूस और चेचन्या के बीच दूसरा युद्ध शुरू हुआ.
- इसी बीच रूस में व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति बने. मई 2000 में उन्हें चेचन्या पर रूस के शासन का ऐलान किया. जून 2000 में रूस ने अखमत केदिरोव (Akhmat Kadyrov) को चेचन्या का नेता घोषित किया. अखमत केदिरोव पहले अलगाववादी थे, लेकिन बाद में रूस के साथ आ गए थे.
- मार्च 2003 में चेचन्या में जनमत संग्रह हुआ, जिसमें ज्यादातर लोगों ने चेचन्या को रशियन फेडरेशन का हिस्सा बनाने के पक्ष में वोट दिया. अक्टूबर 2003 में अखमत केदिरोव चेचन्या के राष्ट्रपति बने. मई 2004 में अखमत केदिरोव की हत्या हो गई. उनके बाद उनके बेटे रमजान केदिरोव चेचन्या के राष्ट्रपति बने.
चेचेन फोर्स क्या है?
- डेलीमेल के मुताबिक, चेचेन फोर्स चेचन्या की फेडरल गार्ड सर्विस की दक्षिणी बटालियन के लड़ाके हैं. इसमें हजारों लड़ाके मौजूद हैं. माना जाता है कि चेचेन के लड़ाके अक्सर जंगलों में ही रहते हैं. ये लड़ाके अपनी बर्बरता के लिए जाने जाते हैं.
- माना जा रहा है कि रूस के राष्ट्रपति ने इन लड़ाकों को यूक्रेन में मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए भेजा है. डेलीमेल का कहना है कि इन लड़ाकों को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) को पकड़ने या उनकी हत्या करने का आदेश दिया गया है.
Tags:    

Similar News

-->