यूक्रेन के कीव में रूस ईरान के बने शाहिद-135 ड्रोन का प्रयोग कर रहा

कैसनियान का कहना है कि यूक्रेन में ईरान के ड्रोन का प्रयोग काफी धीमा है।

Update: 2022-10-21 03:06 GMT
तेहरान: रूस पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वह यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमले के लिए ईरान के बने शाहिद-135 या कामिकाजे ड्रोन का प्रयोग कर रहा है। जहां ईरान की सरकार ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि रूसी सेनाएं उसके हथियारों का प्रयोग कर रही हैं तो वहीं यूक्रेन ने इसके सबूत होने का दावा किया है। शाहिद-136 को एक सुसाइड ड्रोन कहा जाता है। क्रीमिया और रूस को जोड़ने वाले केरेच के पुल पर पिछले दिनों हुए हमले के बाद से ही रूस आक्रामक बना हुआ है। कीव पर हमलों के बाद से यहां न तो बिजली है, न ही पानी और न ही दूसरी जरूरी सुविधाएं।
कहीं भी कभी भी कंट्रोल
आमतौर पर ड्रोन को कहीं और से कंट्रोल किया जाता है लेकिन इन ड्रोन के साथ ऐसा नहीं है। जरूरी नहीं है कि इन्‍हें रिेमोट से कंट्रोल किया जाए। कामिकाजे ड्रोन एक क्षेत्र में तब तक घूमते हैं जब तक कि एक लक्ष्य की पहचान और हमला नहीं हो जाता। ये एक बड़े हिस्‍से में विस्‍फोटक गिराते हैं। ये ड्रोन किसी एक इलाके को कंट्रोल भी कर सकते हैं, इनकी मदद से उस इलाके में खतरनाक बलों को दाखिल होने की मंजूरी नहीं मिलती है।
होता है तगड़ा ब्‍लास्‍ट
शाहिद-136 को सुसाइड ड्रोन भी कहते हैं। यह ड्रोन इतना क्षमतावान है कि यह निर्देश मिलने से पहले टारगेट एरिया के करीब इंतजार करता है। इसके बाद जैसे ही निर्देश मिलते हैं यह विस्‍फोटक को पूरी ताकत के साथ टारगेट पर ब्‍लास्‍ट करता है। मिलिट्री फैक्‍ट्री वेबसाइट की तरफ से बताया गया है कि इस ड्रोन का वजन 200 किलोग्राम है और इसका विंगस्‍पैन 2.5 मीटर है। इस ड्रोन को ईरान की एयरक्राफ्ट मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनी ने तैयार किया है और साल 2021 से इसका प्रयोग हो रहा है।
यमन में हुआ प्रयोग
यह पहला मौका नहीं है जब सुसाइड ड्रोन का प्रयोग हो रहा है बल्कि कई दशकों से युद्ध में ऐसे ड्रोन का इस्‍तेमाल होता आया है। कई देशों के पास ऐसे ड्रोन हैं। ईरान ने इन ड्रोन का प्रयोग यमन में किया था। इन ड्रोन को ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है और यह एक सीमा तक सिग्‍नल भी जाम कर देते हैं। यूक्रेन की मिलिट्री की प्रवक्‍ता नतालिया होमेनयूक ने सितंबर में न्‍यूज एजेंसी एएफपी को बताया था कि शाहीद-136 ड्रोन का पता लगा पाना भी काफी मुश्किल है।
यह ड्रोन बहुत नीचे उड़ता है लेकिन इससे शोर काफी ज्‍यादा होता है। इस ड्रोन से बिल्‍कुल किसी आरा मशीन या खराब स्‍कूटर का साउंड आता है। यानी इन्‍हें काफी दूर से सुना जा सकता है। इनकी प्रभावशीलता काफी कम है लेकिन बस एक जगह की आबादी को डराने के लिए इनका प्रयोग होता है।
क्‍यों रूस ने चुना यह ड्रोन
आपको जानकर हैरानी होगी कि रूस की सेना इन ड्रोन का प्रयोग जिस मकसद के लिए कर उस पर आलोचकों ने सवाल उठाए हैं। आम नागरिकों और असैन्‍य संगठनों पर इस ड्रोन की मदद से हमले हो रहे हैं और यह बात रक्षा विशेषज्ञों को हजम नहीं हो रही है। रिटायर्ड यूएस मरीन कर्नल मार्क कैनसियान कहते हैं कि रूस की रणनीतिक यूक्रेन के शहरों में बसे लोगों का मनोबल तोड़ना है और यह रणनीति बिल्‍कुल प्रभावी नहीं है। कैसनियान का कहना है कि यूक्रेन में ईरान के ड्रोन का प्रयोग काफी धीमा है।

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