रूस को अपने कच्चे तेल और गैस के मिले कई नए खरीदार, भारत और चीन भी शामिल

हंगरी में अपनी दो रिफाइनरियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था को बनाने में 2 से 4 साल का समय लगेगा।

Update: 2022-06-01 03:27 GMT

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश बौखलाए हुए हैं। यही कारण है कि रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बौछार हुई पड़ी है। इसका सबसे ज्यादा असर रूसी कच्चे तेल और गैस के निर्यात पर देखा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा समेत कई पश्चिमी देशों ने पहले ही रूसी कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया तो खुद रूस ने कई देशों को शर्तों को पूरा न करने के कारण सप्लाई रोक दी है। इस कारण पूरी दुनिया में तेल और गैस के दाम में जबरदस्त उछाल देखा गया। इसी को काटने के लिए रूस ने सस्ते दाम पर अपने तेल और गैस को बेचना शुरू कर दिया। इसका फायदा भारत समेत कई देशों ने उठाया है।

रूसी तेल के वर्तमान खरीदार
भारत की सरकारी तेल कंपनियां भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और मैंगलोर रिफाइनरी ने रूस के कच्चे तेल की खरीद की है। भारत पेट्रोलियम ने ट्रेडर ट्रैफिगुरा से 2 मिलियन बैरल रूसी तेल को खरीदा है। भारत पेट्रोलियम नियमित रूप से कोच्चि रिफाइनरी के लिए 310,000 बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। वहीं भारत पेट्रोलियम ने भी मई में 2 मिलियन बैरल रूसी कच्चे तेल की खरीद की है। इंडियन ऑयल ने तो 24 फरवरी के बाद से रूस से 6 मिलियन बैरल से अधिक तेल की खरीद की है। इनके अलावा भारतीय निजी रिफाइनरी नायरा एनर्जी भी तेल की खरीद कर रही है।
इटली
इटली की सबसे बड़ी रिफाइनरी आईएसएबी सरकार के दबाव के बावजूद रूस से तेल की खरीद कर रही है। इस कंपनी का स्वामित्व Lukoil के पास है। जिसके बाद इटली की सरकार इस रिफाइनरी का अस्थायी रूप से राष्ट्रीयकरण करने की योजना पर विचार कर रही है।
फ्रांस
फ्रांस के TotalEnergies के स्वामित्व वाली लीना रिफाइनरी, ड्रुज़बा पाइपलाइन के जरिए रूसी कच्चे तेल और गैस की खरीद को जारी रखे हुए है।
जर्मनी
जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी मिरो भी रूस से कच्चे तेल को खरीद रही है। इस रिफाइनरी का 24 फीसदी मालिकाना हक रूस की रोसनेफ्ट के पास है। जर्मनी की पीसीके श्वेड्ट रिफाइनरी रूसी कच्चे तेल को खरीदना जारी रखे हुए है।

हंगरी
हंगरी की तेल कंपनी एमओएल भी रूस से कच्चे तेल की खरीद को जारी रखे हुए है। कंपनी ने कहा है कि स्लोवाकिया और हंगरी में अपनी दो रिफाइनरियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था को बनाने में 2 से 4 साल का समय लगेगा।


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