प्रयोगशाला में हुआ खुलासा- पृथ्वी का आंतरिक भाग ज्यादा तेजी से हो रहा है ठंडा

पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों को लेकर प्रयोगशाला में हुए कुछ प्रयोगों के नतीजों से वैज्ञानिकों को अनोखी बात पता चली है

Update: 2022-01-15 12:21 GMT
पृथ्वी (Earth) के आंतरिक हिस्सों को लेकर प्रयोगशाला में हुए कुछ प्रयोगों के नतीजों से वैज्ञानिकों को अनोखी बात पता चली है. उन्होंने पाया है की पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों के ठंडा (Cooling of Interior of Earth) होने की गति जितनी समझी जा रही थी. वह ज्यादा तेज है. यानि कि पृथ्वी का अंदरूनी भाग उम्मीद से ज्यादा तेजी से ठंडा हो रहा है. इससे ज्वलामुखी (Volcanos), टेक्टोनिक गतिविधि, पृथ्वी का चुंबकीय तंत्र प्रभावित हो सकता है.
यह वाकई रोचक बात है कि करीब 4.5 अरब साल के पहले बनना शुरू हुई पृथ्वी (Earth)अंदर से अभी तक ठंडी (Cooling of Earth) नहीं हुई है. बेशक यह ठंडी हो रही है, लेकिन इसकी दर क्या है यह पूरी तरह से साफ नहीं है. पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों (Interior of Earth) के बारे में अब भी बहुत कुछ जानने की जरूरत है. नए अध्ययन में जूरिक की ईटीएच के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में दर्शाया था कि पृथ्वी की क्रोड़ और मैंटल के बीच की सीमा पाए जाने वाले साझा खनिज कितने अच्छे ऊष्मा सुचालक है. लेकिन इस प्रयोग से वे इस नतीजे पर पहुंचे कि पृथ्वी की ऊष्मा जितना समझा गया है उससे जल्दी उड़ सकती है. 
पृथ्वी का विकास (Evolution of Earth) दरअसल उसके ठंडे होने (Cooling of Earth) की ही कहानी है. 4.5 अरब साल पहले युवा पृथ्वी की सतह चरम तापमान से गुजर रही थी और वह मैग्मा के गहरे सागर से ढकी हुई थी. लाखों सालों में पृथ्वी की सतह ठंडी हुई और एक ठोस पर्पटी बन गई. लेकिन पृथ्वी के आंतरिक हिस्से (Interior of Earth) में विशाल मात्रा में ऊष्मा थी. इससे मेंटल संवहन, प्लेट टैक्टोनिक और ज्वालामुखी जैसी कई गतिक प्रक्रियाएं शुरू हो गई. फिर भी इसका साफ तौर पर जवाब नहीं मिला की पृथ्वी कितनी जल्दी ठंडी हुई और ऊष्माजनित ये प्रक्रियाएं आगे कब जा कर रुकेंगी.
इसका एक संभावित जवाब खनिजों की ऊष्मीय सुचालकता है जो पृथ्वी (Earth) के क्रोड़ (Core) और मेंटल (Mantle) की सीमा पर मौजूद हैं. दोनों के बीच की यह सीमा बहुत अहम है क्योंकि यहां मेंटल की चिपचिपी चट्टानें पृथ्वी के बाहर क्रोड़ के गर्म लोहे और निकल के पिघले हुए मिश्रण के संपर्क में आती हैं. दोनों के परतों के बीच तापमान बदलने की दर में बहुत ज्यादा अंदर है और यहां भारी मात्रा में ऊष्मा का बहाव देखने को मिलता है. इनकी सीमा पर मुख्यतः ब्रिजमेनाइट है. 
लेकिन शोधकर्ताओं को यह अनुमान लगाने में बहुत परेशानी हो रही थी कि पृथ्वी (Earth) के क्रोड़ से मेंटल (Mantle) तक ब्रिजमेनाइट (Bridgmanite) खनिज के जरिए कितनी ऊष्मा संचालित हो रही थी. अब ईटीएच के प्रोफेसर मोतोहीको मुराकामी और कार्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंस क उनके साथियों ने एक गूढ़ मापन तंत्र विकसित किया. ब्रिजमेनाइट की ऊष्मा सुचालकता को प्रयोगशाला में माप सकता है. यह मापन उच्च दबाव और तापमान की अवस्थाओं में किया गया था जो पृथ्वी के अंदर होता है. इसकेलिए शोधकर्ताओं ने ऑप्टिकल एब्जोर्प्शन मेजरमेंट सिस्टम का उपयोग किया था जिसमें हीरा लेजर द्वारा गर्म किया गया था.
मुराकामी ने बताया कि इस मापन तंत्र से पता चला कि ब्रिजमेनाइट (Bridgmanite) की ऊष्मा सुचालकता जितनी अनुमानित की जा रही थी वह उससे 1.5 गुना ज्यादा थी. इससे पता चलता है कि पृथ्वी की क्रोड़ (Core of Earth) और मेंटल (Mantle) के बीच का ऊष्मा प्रवाह पहले सोचे गए मान से ज्यादा था. ज्यादा ऊष्मा प्रवाह का मतलब था कि इससे मेंटल में संवहन ज्यादा होगा जिससे पृथ्वी के ठंडा होने की दर तेज होगी. इससे टेक्टोनिक प्लेट तेजी से धीमी होंगी जो मेंटल के प्रवाह से गतिमान होती हैं
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