नए शोध में हुआ खुलासा, कोविड-19 की गंभीरता के खिलाफ कायम रहती है वैक्सीन की सुरक्षा

इससे स्पष्ट है कि इस महामारी से जंग में टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है।

Update: 2022-02-09 11:10 GMT

सार्स सीओवी-2 के खिलाफ वैक्सीन की सुरक्षा कुछ महीने बाद धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती है, लेकिन कोविड-19 की गंभीरता के खिलाफ उसकी सुरक्षा बेहतर बनी रहती है। 'द लैंसेट जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि सुरक्षा में कमी आने की गति वैक्सीन के प्रकार पर निर्भर करती है।

स्वीडन स्थित उमिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर नार्डस्ट्राम ने कहा, 'बुरी खबर यह है कि वैक्सीन की दूसरी खुराक के सात महीने बाद संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा कम होती दिख रही है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि गंभीर संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा बनी रहती है। गंभीर संक्रमण के कारण कोविड के मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती और कई बार उनकी मौत भी हो जाती है। इसलिए वैक्सीन लगवाना बुद्धिमानी वाला व महत्वपूर्ण काम है।' यह एक विश्लेषणात्मक अध्ययन है जो स्वीडन की सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण बोर्ड तथा स्टैटिक्स स्वीडन के आंकड़ों पर आधारित है।
मुख्य विश्लेषण में करीब 17 लाख लोग शामिल रहे और इसके परिणाम की 40 लाख से ज्यादा लोगों द्वारा पुष्टि की गई। अध्ययन निष्कर्ष में बताया गया है कि वैक्सीन की दूसरी खुराक के एक महीने बाद गंभीर संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा चरम पर होती है और इसके बाद धीरे-धीरे घटने लगती है। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन अलग-अलग टीकों पर किया, लेकिन एक बात जो स्पष्ट थी वो यह कि वैक्सीन कोविड के गंभीर संक्रमण से बचाने में कारगर है। इससे पहले भी कई अध्ययन कोविड-19 से लड़ने में टीकों की भूमिका पर प्रकाश डाल चुके हैं। अब यह नया अध्ययन भी इस ओर संकेत करता है। इससे स्पष्ट है कि इस महामारी से जंग में टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है।


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