अफगानिस्तान के पंजशीर में रेसिस्टेंस फोर्स ने किया ऐलान, तालिबान के खिलाफ अपनी लड़ाई रखेंगे जारी
उन्होंने कहा कि वे ढीठ और आक्रामक हैं। उनका लक्ष्य पूरे अफगानिस्तान को अपने घुटनों पर लाना है।
अफगानिस्तान में भले ही तालिबान का कब्जा हो गया है, मगर पंजशीर में उसका टेंशन बरकरार है। अफगानिस्तान के पंजशीर में रेसिस्टेंस फोर्स ने ऐलान किया है कि वे तालिबान के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे क्योंकि उनके और तालिबानियों के बीच बातचीत विफल रही है। तालिबान ने बुधवार को कहा कि पंजशीर प्रांत के नेताओं के साथ बातचीत विफल हो गई है। अफगानिस्तान में पंजशीर एक मात्र प्रांत है, जो अब भी तालिबान के नियंत्रण से मुक्त है।
दरअसल, तालिबान पंशीर प्रांत में कई बार घुसने की कोशिश कर चुका है, मगर हर बार उसे मुंह की ही खानी पड़ी है। पंजशीर में उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह और अहमद मसूद की अगुवाई में रेसिस्टेंस फोर्स के सामने तालिबानी लड़ाके कमजोर नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि तालिबान अब शांति वार्ता का राग अलाप रहा है। ताजा घटनाक्रम में पंजशीर घाटी के नॉर्दर्न अलांस ने दावा किया है कि उसने हमला करने आए तालिबान के करीब 350 लड़ाकों को मार गिराया है।
बता दें कि पंजशीर घाटी में अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी मौजूद हैं जिन्होंने तालिबान को अफगानिस्तान से उखाड़ फेंकने की कसम खाई हुई है। इसके साथ ही अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद भी यहीं हैं और उन्होंने कहा है कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं। मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। तो ऐसे में तालिबान के लिए पंजशीर घाटी पर नियंत्रण बेहद मुश्किल होने वाला है।
ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मुहम्मद जोहिर अगबर ने कहा है कि तालिबान समूह पंजशीर में प्रतिरोध मोर्चे के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत नहीं करेगा और वह इसके नेता अहमद मसूद को मारने का इरादा रखता है। उन्होंने कहा कि तालिबान उनके साथ (पंजशीर में प्रतिरोध के नेता) कभी बातचीत नहीं करेगा। वे राजनेता नहीं हैं, बल्कि आतंकवादी हैं और तीन साल पहले से ही कई देशों की संगठनों की सूची में हैं। उन्होंने कहा कि वे ढीठ और आक्रामक हैं। उनका लक्ष्य पूरे अफगानिस्तान को अपने घुटनों पर लाना है।