शोधकर्ताओं ने एक नए शोध बताया, स्तनपान कराने से बढ़ती है महिलाओं की दिमागी तंदुरुस्ती

जिससे लंबे समय तक माताओं का संज्ञानात्मक प्रदर्शन बेहतर रहता है।

Update: 2021-10-25 09:07 GMT

स्तनपान से बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक असर के बारे में कई अलग-अलग शोध हुए हैं। अब यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया, लास एंजिलिस (यूसीएलए) के शोधकर्ताओं ने एक नए शोध में बताया है कि जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं, उनकी दिमागी तंदुरुस्ती 50 साल की उम्र के बाद भी उन महिलाओं से बेहतर रहती है, जो अपने बच्चों को बिल्कुल भी स्तनपान नहीं कराती हैं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं का संज्ञानात्मक स्तर ज्यादा होता है।

यह शोध निष्कर्ष इवोल्यूशन, मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि स्तनपान कराने से रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं का संज्ञानात्मक प्रदर्शन उम्दा रहता है तथा उनके मस्तिष्क को दीर्घावधिक फायदा होता है।
यूसीएलए में मानव विज्ञान तथा व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर व इस शोध की लेखिका मौली फाक्स ने बताया कि कई सारे शोधों में पाया गया है कि स्तनपान कराने से लंबे समय तक बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर होता है, लेकिन हमारा शोध उन कुछेक में से एक है, जिसमें स्तनपान कराने से महिलाओं को होने वाले फायदे के बारे अध्ययन किया गया है। स्तनपान कराना बाद की जिंदगी में न्यूरोप्रोटेक्टिव (तंत्रिका संरक्षी) साबित होता है। संज्ञानात्मक स्वास्थ्य अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे रोगों का संकेतक माना जाता है।
अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका हेलेन लावरेत्स्की ने बताया कि हम जानते हैं कि स्तनपान कराने से टाइप 2 डायबिटीज तथा हार्ट डिजीज जैसे रोगों का खतरा कम होता है और ये बीमारियां अल्जाइमर के उच्चतर जोखिम से जुड़ी हुई हैं।
फाक्स के मुताबिक, चूंकि स्तनपान कराने से बच्चों के साथ भावनात्मक बंधन मजबूत होता है और प्रसवोत्तर तनाव या अवसाद का जोखिम भी कम होता है, इसलिए उसका न्यूरोकाग्निटिव फायदा भी मिलता है, जिससे लंबे समय तक माताओं का संज्ञानात्मक प्रदर्शन बेहतर रहता है।


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