शोधकर्ताओं ने एक ऐसे एंजाइम की खोज की, अब बुढ़ापे का असर भी होगा कम

जिससे इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता में कमी आती है।

Update: 2021-12-20 09:00 GMT

शोधकर्ताओं ने एक ऐसे एंजाइम की खोज की है, जो व्यायाम से स्वास्थ्य में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाता है और एजिंग (बुढ़ापे) के असर से सुरक्षा प्रदान करता है। यह शोध साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

इस शोध की सबसे अहम बात यह है कि इससे वैसी दवाइयां बनाने का नया रास्ता खुलेगा, जो इस एंजाइम की गतिविधियां बढ़ा सकेंगी। उससे डायबिटीज टाइप 2 समेत एजिंग संबंधी उपापचय (मेटाबोलिक) स्वास्थ्य पर होने वाले असर से प्रतिरक्षा में मदद मिलेगी।
एक अनुमान के अनुसार, दुनियाभर में अगले तीन दशकों में 60 साल से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गो की जनसंख्या दोगुनी हो जाएगी। चूंकि टाइप 2 डायबिटीज का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है, इसलिए बुजुर्गो की बढ़ती संख्या के कारण विश्वभर में रोगों का बोझ भी बढ़ेगा।
बढ़ती उम्र के साथ टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण शरीर का इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध क्षमता बढ़ना होता है। यह विकृति आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक सक्रियता कम होने से पैदा होती है। लेकिन अभी तक यह रहस्य ही बना रहा कि शारीरिक सक्रियता से आखिर किस प्रकार से इंसुलिन प्रतिरोध प्रभावित होता है।
इसी के मद्देनजर आस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस बात की खोज की है कि शारीरिक सक्रियता किस तरह से इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाती है, जिससे कि उपापचय स्वास्थ्य में सुधार आता है। शोधकर्ताओं ने खासतौर पर ऐसे एंजाइम की खोज की है, जो इस मैकेनिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे वैसी दवाइयां भी बनाई जा सकती हैं, जिससे मांसपेशियों की कमजोरी और डायबिटीज समेत बुढ़ापे के अन्य असर से बचाव किया जा सकता है।
मोनाश यूनिवर्सिटी के बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट (बीडीआइ) के शोधकर्ताओं ने बताया है कि बढ़ती उम्र के साथ स्केलटल मसल रिएक्टिव आक्सीजन स्पेसीज (आरओएस) कम हो जाती है, जिससे इंसुलिन का प्रतिरोध बढ़ जाता है। प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर टिगानिस के अनुसार, स्केलटल मसल (कंकाल की मांसपेशी) लगातार आरओएस बनाते रहते हैं और व्यायाम के समय यह क्रिया बढ़ जाती है। उन्होंने बताया, व्यायाम के कारण आरओएस के उत्पादन में तेजी से अनुकूलन प्रतिक्रियाएं बढ़ती हैं, जो स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालती है।
शोध टीम ने यह भी दर्शाया कि व्यायाम से प्रेरित आरओएस तथा अनुकूलन प्रतिक्रियाओं के लिए एनओएक्स-4 नामक एंजाइम आवश्यक है, जिससे उपापचय में सुधार आता है। शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए प्रयोग में पाया कि शारीरिक सक्रियता (व्यायाम) के बाद कंकाल की मांसपेशियों में एनओएक्स-4 बढ़ता है, जिससे आरओएस की अनुकूलन प्रतिक्रियाएं भी बढ़ती है। इन सब क्रियाओं से चूहों में इंसुलिन प्रतिरोध से बचाव हुआ।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि कंकाल की मांसपेशियों में एनओएक्स-4 के स्तर का एजिंग के साथ बढ़ने वाले इंसुलिन प्रतिरोध से सीधा संबंध है। प्रोफेसर टिगानिस ने बताया कि इस शोध में हमने पाया कि एनिमल माडल में एजिंग के साथ कंकाल की मांसपेशियों में एनओएक्स-4 घटता है, जिससे इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता में कमी आती है।

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