शोधकर्ताओं: चांद पर पानी के स्रोत को लेकर एक नई थ्योरी सामने आई

जो इसे अणु स्तर पर तोड़ सकती हैं। इसीलिए वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे हैं कि करोड़ों साल से ये बर्फ कैसे बची हुई है।

Update: 2022-05-05 09:51 GMT

चांद पर पत्थरों के नीचे बर्फ के रूप में पानी मौजूद है। चांद पर पानी कहां से आया इसे लेकर अलग-अलग मत हैं। लेकिन अब एक स्टडी में कहा गया है कि चांद पर पानी पृथ्वी से ही पहुंचा है। इस स्टडी में कहा गया है कि हो सकता है कि अरबों सालों से चंद्रमा पृथ्वी के वायुमंडल से ही पानी अपने क्रेटरों में बर्फ के रूप में जमा कर रहा है।

यूनिवर्सिटी ऑफ अलास्का फेयरबैंक्स ने अपने शोध में कहा है कि पानी बनाने वाले आयन को चंद्रमा खींचता है क्योंकि ये पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के हिस्से से होकर गुजरता है। चंद्रमा पर पानी को लेकर एक और थ्योरी के रूप में ये शोध जुड़ गया है। इससे पहले एस्ट्रोयड की टक्कर और सूर्य के द्वारा ऑक्सीजन और हाइड्रोजन आयनों के उत्सर्जन से भी पानी बनने की थ्योरी दी गई है।
दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी झील भरने के बराबर है पानी
टीम ने अनुमान लगाया है कि चंद्रमा पर 840 क्यूबिक मील सतह पर पानी है जो पृथ्वी के वायुमंडल से निकल कर वहां पहुंचा है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि ये पानी अमेरिका की हूरोन झील जो दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी है उसे भरने के लिए पर्याप्त है।
चांद पर बर्फ के रूप में है पानी
चांद पर पत्थरों के नीचे बर्फ के नीचे पानी दबा हुआ है। पत्थरों के नीचे होने और चांद की मैग्नेटिक फील्ड के कारण सूर्य की किरणों से ये बचे रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में जब इंसान चांद पर कॉलोनी बनाएंगे तो ये बर्फ ही उनके लिए पानी का स्रोत रहेगा। चांद के ध्रुवीय इलाकों पर क्रेटर में बर्फ का पता कई सैटेलाइट ने लगाया है, जहां का तापमान माइनस 214 डिग्री सेल्सियस है। हालांकि सौर हवाएं यहां तक पहुंचती हैं, जो इसे अणु स्तर पर तोड़ सकती हैं। इसीलिए वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे हैं कि करोड़ों साल से ये बर्फ कैसे बची हुई है।

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