Research: धरती की आंतरिक क्रोड़ में हो रही है असमान वृद्धि

धरती की आंतरिक क्रोड़

Update: 2021-06-05 11:50 GMT
Research: धरती की आंतरिक क्रोड़ में हो रही है असमान वृद्धि
  • whatsapp icon

हमारी पृथ्वी (Earth) की आंतरिक संरचना (Internal structure of Earth) उसके आसपास के अंतरिक्ष तक को प्रभावित करती है. हमारे वैज्ञानिक पृथ्वी के आंतरिक भागों खासतौर पर क्रोड़ का विशेष रूप से अध्ययन करते हैं. जिसकी वजह से पृथ्वी के चारों और मैग्नेटोस्फियर का बनी है. जो अंतरिक्ष से आने वाले हानिकारक विकिरण से हमारी रक्षा करती है. हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि पृथ्वी की ठोस क्रोड़ (Inner Core of Earth) एक तरफ दूसरी ओर की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है.

भूंकपीय तरंगों की यात्रा
पृथ्वी के आंतरिक संरचनाओं का अध्ययन आसान काम नहीं हैं. वैज्ञानिक काफी सारी जानकारी भूकंपीय या सीज्मिक तरंगों से मिलती हैं. वैज्ञानिकों ने पायाहै कि जब ये भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के अंदर से होती हुई एक ओर से दूसरी ओर तक जाती हैं. तब वे पूर्व से पश्चिम की तुलना में ध्रवों से ध्रुवों से तक तीन गुना तेज गति से जाती हैं.
पृथ्वी के केंद्र के लोहे का ठंडा होना
नए मॉडल सुझाते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि पृथ्वी की ठोस क्रोड़ इंडोनेशिया की नीचे ब्राजील के नीचे की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. लेकिन एकसमय था जब पृथ्वी की क्रोड़ ठोस नहीं थी. हमारे ग्रह के सबसे गहरे आंतरिक भाग में पिघला हुआ पदार्थ अरबों सालों तक पड़ा रहा जिसके बाद केंद्र में स्थित तरल लोहा ठंडा होकर ठोस होने लगा.
इस बाद की संभावना ज्यादा
इसका मतलब है कि पृथ्वी का केंद्र एक विशाल बढ़ता हुआ क्रिस्टलीकृत लोहा हो सकता है. और जब यह क्रिस्टल किसी खास तरह की स्थिति में आता है तो इसकी वजह से भूकंपीय तरंगे कुछ दिशाओं में तेजी से यात्रा कर पाती हैं. इस स्थिति का मॉडल तैयार कर शोधकर्ताओं को हैरान करने वाला नतीजा मिला वह यह था कि पृथ्वी की अंतरिक क्रोड़ में असंतुलित वृद्धि हो रही है.
एक ही व्याख्या हो सकती है
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्नाया बर्केले के ग्लोबल सीज्मोलॉजिस्ट डेनियर फ्रॉस्ट बताते हैं, "सरलतम मॉडल भी यही बताते हैं कि आंतरिक क्रोड़ असमान है. पश्चिमी हिस्सा पूर्वी हिस्से से अलग दिखाई देता लगता है और ऐसा केवल आंतरिक क्रोड़ के शीर्ष पर नहीं बल्कि केंद्र तक होता है. इसकी एक ही व्याख्या हो सकती है कि आंतरिक क्रोड़ एक तरफ से तेजी से बढ़ रहा है.
बहस होगी इस शोध पर
पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ तक खुदाई कर यह पता लगाना असंभव है कि वहां कि वस्तुस्थिति क्या है. इसलिए इस यह शोध एक बहस को जन्म देने वाला है. भूकंपीय तरंगों का अध्ययन और कम्प्यूटर सिम्यूलेशन मॉडल ही ऐसे तरीके हैं जिससे इनकी व्याख्या की जांच की जा सकती है कि हमारा ग्रह ऐसा क्यों बना.
अब इसकी वजह खोजने की तैयारी
अब पृथ्वी की जियोडायनामिक्स और उच्च तापमान और दबाव में लौह खनिजों के भौतिकी के बहुत से कम्प्यूटर मॉडल को शामिल कर अब शोधकर्ता यह पता लगाने का प्रयास करेंगे कि पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ इस खास तरह से पंक्तिबद्ध क्यों हुई है. इसकी सहसे सरलतम व्याख्या यही है कि पृथ्वी की क्रिस्टलीय क्रोड़ भूमध्य रेखा पर तेजी से पनप रही है और वह भी पूर्व दिशा में विशेष तौर से.
नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक यह असमान वृद्धि यह भी बताती है कि पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ के कुछ हिस्से गर्म हैं और दूसरे तुलनात्मक रूप से ठंडे हैं इससे लोहे के क्रिस्टल ज्यादा तेजी से बने हैं. गुरुत्व इस असमान वृद्धि को नरम ठोस क्रोड़ में समान रूप से फैला देता है जिससे क्रिस्टल उत्तर और दक्षिणी ध्रुव की ओर चले जाते हैं. मॉडल बताता कि इस प्रकार की असमान वृद्धि तब से हो रही है जबसे आंतरिक क्रोड़ ठंडी होना शुरू हुई है. और तब से इस प्रकार ही बढ़ रही है.
Tags:    

Similar News