शोध: जीवों का बर्ताव सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से होता है प्रभावित
पृथ्वी के जीवों पर चंद्रमा और सूर्य का क्या प्रभाव पड़ता है
पृथ्वी (Earth) के जीवों पर चंद्रमा (Moon) और सूर्य (Sun)का क्या प्रभाव पड़ता है इस पर बहुत से वैज्ञानिक अध्ययन होते रहे हैं. वैसे तो सूर्य की वजह से पृथ्वी के मौसम और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण (Gravity) का पृथ्वी की जलवायु पर प्रभाव की वैज्ञानिक व्याख्याएं तो हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इन पिंडों के समग्र प्रभाव कोई विशिष्ट अध्ययन नहीं किया गया है. नए अध्ययन में बताया गया है कि सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी मिल कर पौधों और जानवरों सहित पृथ्वी के जीवों पर प्रभाव डालते हैं. इस प्रभाव में सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण की प्रमुख भूमिका बताई गई है. शोध: जीवों का बर्ताव सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण, पृथ्वी के जीवों,चंद्रमा और सूर्य, वैज्ञानिक अध्ययन , सूर्य की वजह से पृथ्वी के मौसम, चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण , Research: Behavior of organisms Sun and Moon gravity, Earth's organisms, Moon and Sun, Scientific studies, Earth's weather due to the Sun, Moon's gravity,
तीनों की कक्षा यांत्रिकी का असर
इस अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीम ने दावा किया कि पिंडों की कक्षा की यांत्रिकी (orbital Mechanics) के कारण पैदा हुए गुरुत्वाकर्षण ज्वार का प्रभाव एक लय में होता है. इस तथ्य को अब तक नजरअंदाज ही किया जा रहा था. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक क्रिस्टियानो डि मेला गैलेप ने एनएआई को इस प्रक्रिया के प्रभाव को समझाया.
ज्वार के रूप में प्रभाव
गैलेप के मुताबिक पृथ्वी पर सभी जीवित या निर्जीव पदार्थ सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव को ज्वार के रूप में महसूस करते हैं. आवर्ति स्पंदन दो दैनिक चक्र दिखाता है इन दो खगोलीय पिंडों की गतिविधि के कारण और हर महीने और साल में बदलता है. गुरुत्व का हमेशा ही प्रभाव रहा है.
लयात्मक गतिविधियों का आकार
गुरुत्व का जैविक लय पर प्रभाव डालते हुए गैलेप ने बताया कि इसका विकास आवर्ती स्पंदन के साथ हुआ जहां गुरुत्व हमेशा ही एक कारक रहा था. उन्होंने बतायाकि हमें इस लेख में यह दर्शाना चाहते थे कि गुरुत्वाकर्षण ज्वार जैसे बल ने हमेशा ही इन जीवों में लयात्मक गतिविधियों को आकार दिया है."
तीन अध्ययनों के आंकड़े
शोधकर्ताओं ने अपने आंकड़े पिछली तीन प्रकाशित अध्ययनों के आधार पर जुटाए और उनके अध्ययन केबाद अपने नतीजों पर पहुंचे. इन अध्ययनों में गुरुत्वाकर्षण को छोड़ कर आइसोपोड्स और छोटे खोल रहित क्रस्टेशियाई जीव, कोरल के प्रजानन के प्रयास, और सूरजमुखी की बीजों के निर्माण में स्वतः चमक के आधार पर वृद्धि में बदालव जैसी प्रक्रियाएं शामिल की गई थीं.
गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव
इन तीन अध्ययनों के आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण से खुलासा हुआ की स्थानी गुरुत्व ज्वार ही इन अध्ययनों में अवलोकित किए गए जीवों के चक्रीय बर्ताव का प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त है. यह प्रभाव उन प्रकाश और तापमान जैसे दूसरे लयात्मक प्रभावों की गैरमौजूदगी में भी देखा गया है.
छोटे से लेकर बड़े बदलाव
एक्सपेरिमेंटल बॉटनी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधक्रताओं ने पाया कि कुछ जीवों के लयात्मक चक्र प्रकाश की अनुपस्थिति में भी कायम रहे. विशेषज्ञों का यह भी कहना रहा कि गुरुत्वाकर्षण चक्र केवल सरल जीवों को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि 24.4 से 24.8 घंटों के चंद्र चक्र के साथ एक चक्रीय बदलाव भी स्थापित करते हैं.
पृथ्वी की सतह के नीचे मिला छेद, जो जा रहा है केंद्र की ओर
सूर्य और चंद्रमा की गुरुत्व का प्रभाव पृथ्वी के गुरुत्व का दस लाखवें हिस्से के बराबर होता है. वैज्ञानिकों को कहना है यह प्रभाव ही महासागरों , नदियों और झीलों में बड़े पैमाने पर ज्वार पैदा करने के लिए काफी हैं. इतना ही नहीं इसका प्रभाव टेक्टोनिक प्लेट्स पर भी पड़ता है. इतना ही नहीं अंधेरे में लंबे समय तक रखे गए इंसान भी इस चक्र के साथ तालमेल करते हुए बर्ताव करते देखे गए हैं.