शोध में सामने आई बात: सिनोवेक बायोटेक की कोरोना वैक्‍सीन में तय समय में कम मिली एंटीबॉडीज

ये शोध जियांग्‍सु प्रांत के डिजीज कंट्रोल और दूसरे संस्‍थानों ने मिलकर किया है।

Update: 2021-07-27 07:28 GMT

चीन की सिनोवेक और बायोटेक की बनाई कोरोना वैक्‍सीन की दो खुराक के बाद शरीर में एंटीबॉडीज की संख्‍या में कमी देखी गई है। एक शोध में ये बात सामने आई है कि छह माह के दौरान शरीर में दो खुराक के बाद जितनी एंटीबॉडी होनी चाहिए इस वैक्‍सीन से उस मात्रा में एंटीबॉडी नहीं दिखाई दी हैं। हालांकि शोध में ये भी कहा गया है कि संभवत: इसकी तीसरी खुराके के बाद ऐसा हो सकता है और शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम मजबूत हो सकता है।

चीन में हुई इस रिसर्च के दौरान पूरी तरह से स्‍वस्‍थ व्‍यस्‍कों के खून के नमूनों की जांच के बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। शोध में 18-59 वर्ष के लोगों के खून के नमूने लिए गए थे। शोध में शामिल वॉलेंटियर्स को वैक्‍सीन की दो खुराक दी गई थीं। इस दौरान उनके शरीर में एंटीबॉडी कम पाई गई। हालांकि तीसरी डोज के बाद इनके अंदर एंटीबॉडीज का स्‍तर काफी अच्‍छा पाया गया। ये शोध जियांग्‍सु प्रांत के डिजीज कंट्रोल और दूसरे संस्‍थानों ने मिलकर किया है।
शोधकर्ताओं ने साफ किया है कि उन्‍होंने केवल इस दौरान शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी का ही अध्‍ययन किया है। इसकी कमी से वैरिएंट पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्‍ययन इस शोध में नहीं किया गया है। गौरतलब है कि पिछले माह सिनोवेक के प्रवक्‍ता लियू पीचेंग ने रायटर से इसके शुरुआती रिजल्‍ट के बारे में बात करते हुए बताया है कि इस वैक्‍सीन की तीसरी खुराक डेल्‍टा वैरिएंट पर असरदार पाई गई है। इस माह की शुरुआत में थाईलैंड ने कहा है कि जिन लोगों ने सिनोवक की वैक्‍सीन ली है उनको दूसरी खुराक के तौर पर एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन दी जाएगी।
ये फैसला थाईलैंड ने अपने देश के नागरिकों को अधिक सुरक्षा देने के लिए लिया है। आपको बता दें कि थाईलैंड में भी सिनोवेक की वैक्‍सीन पर किए एक शोध में इसकी लंबे समय तक प्रभावशीलता पर सवाल उठाया था। थाईलैंड की सरकार के मुताबिक 6.77 लाख लोगों में से 618 स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी ऐसे थे जिन्‍हें सिनोवेक की दो खुराक दी जा चुकी थीं और मई जून में ये दोबारा संक्रमित हो गए थे। इनमें से एक की मौत भी हो गई थी।

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