Research: निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है दिल की तेज धड़कन
मानव मस्तिष्क को समझना हमारे वैज्ञानिकों के लिए समझना सबसे कठिन चुनौती है
मानव मस्तिष्क ( Human Brain) को समझना हमारे वैज्ञानिकों के लिए समझना सबसे कठिन चुनौती है. हमारे वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार भी किया है. इसी प्रयास में उन्होंने मस्तिष्क की निर्णय प्रक्रिया (Decision Making) को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन किया है. आमतौर पर बेचैनी, नशा और अन्य मनोवैज्ञानिक विकार में वैज्ञानिक उत्तेजना की स्थिति जरूर पाते हैं. दिल का तेजी से धड़कना (Racing Heart), ब्लड प्रेशर का बढ़ना, छोटी सांसों आदि का खराब फैसले से भी संबध माना जाता है. इसी को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कुछ पुराने आंकड़ों का उपयोग कर अध्ययन किया है. इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि उत्तेजना की उच्च अवस्था निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले न्यूरॉन को निगरानी रखने वाले मॉनिटर में बदल देती है.
माउंट सिनाई के आइकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने नॉन ह्यूमन प्राइमेट्स (Non-Human Primates) पर हुए पिछले अध्ययनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. वहां के नैश फैमिली डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोसाइंस और फ्रीडमैन ब्रेन इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ पीटर रूडबेक का कहना है दिमाग के निर्णय लेने वाले सर्किट दिमाग की लगातार निगरानी करने में जुट सकते हैं और शरीर की क्रियाओं से खुद को जोड़ सकते हैं. इस वजह से हमारी उत्तेजना के स्तर बदल जाते हैं और उससे इन सर्किट के काम करने का तरीका बदल सकता है.
यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस (PNAS) में प्रकाशित हुआ है. रुबेक ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि ये नतीजे शोधकर्ताओं का दिमाग (Brain) के हिस्सों और उसकी कोशिकाओं की प्रक्रियाओं को बेहतर समझने में मदद कर सकेंगे. इससे बहुत से मनोवैज्ञानिक विकारों (Psychiatric disorders) को समझने में भी मदद मिल सकेगी. इस अध्ययन की अगुआई डॉ रुडबेक की लैब में अनुदेशक एत्सुशी फूजीमोटो ने की है. सालों से वैज्ञानिक उत्तेजना (Arousal) और निर्णयन के कार्यनिष्पादन को यू आकार के वक्र के तौर पर दर्शाते आ रहे हैं. एक छोटी सी उत्तेजना, जैसे एक कप कॉफी पीने से उच्च प्रदर्शन पैदा कर सकती है.
यह माना जाता रहा था कि बहुत ज्यादा या बहुत कम उत्तेजना (Arousal) यह संभावना बढ़ा देती है कि दिमाग (Brain) या तो धीमे काम करेगा या फिर गलत फैसले लेगा. लेकिन इस अध्ययन के शुरुआती नतीजे इसी विचार का समर्थन करते दिखे, शोधकर्ताओं ने तीन रीसस बंदर (Rhuses Monkey) की क्षमताओं के परीक्षण पर हुए प्रयोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जिसमें दो तरह की प्रतिक्रियाएं जांची गई जब बंदरों को बहुत ही या कम स्वादिष्ट जूस में से एक चुनना था. उस अध्ययन में पाया गया था कि बंदल लगातार ज्यादा स्वादिष्ट जूस का चुनाव करते रहे और औसतन उन्होंने ऐसे फैसले तेजी से लिए जब उनका दिल तेजी से धड़क रहा था. इससे यह पता लगा कि उत्तेजना की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन हो सकता है.
इसके बाद शोधकर्ताओं ने दिमाग (Brain) में ऑर्बिटोफ्रंटर कोर्टेक्स और डोर्सल एंटीरियर सिंग्यूलेट कोर्टेक्स नाम के के निर्णय केंद्र के न्यूरॉन से विद्युतीय गतिविधि रिकॉर्ड की. उन्होंने पाया कि हिस्से के हर न्यूरॉन के छठे हिस्से की गतिविधि का संबंध दिल की धड़कन के उतार चढ़ाव से है. इसका मतलब यह हुआ कि यदि जानवर के दिल की धड़कन की दर बदलती है और इन कोशिकाओं की गतिविधि भी बदलेगी. यह गतिविधि बंदरों को दिए गए पुरस्कारों (ज्यादा या कम स्वादिष्ट जूस) के निर्णयों से अप्रभावित थी. वहीं हिस्से की कोशिकाओं के बची हुई भाग में निर्णय लेने की प्रक्रिया ही हावी रही.