तालिबान के अंदर मतभेद की खबरें, आपस में ही भिड़े सरकार के मंत्री!

वो तालिबान के राजनीतिक, सैन्‍य और धार्मिक मामलों का मालिक है.

Update: 2021-09-16 10:53 GMT

अफगानिस्‍तान (Afghanistan) में सरकार बनने से पहले तालिबान (Taliban) के अंदर ही घमासान मचा हुआ है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार बनने से कुछ ही दिन पहले तालिबान के टॉप लीडर्स में मतभेद सामने आए हैं. इन मतभेदों के चलते राजधानी काबुल में (Kabul) स्थित राष्‍ट्रपति निवास पर ही नेता आपस में भिड़ गए थे.

बताया जा रहा है कि तालिबान के दो धड़ों के समर्थकों के बीच भी राष्‍ट्रपति निवास के अंदर हाथापाई तक हुई है. सूत्रों की मानें तो इस बात को लेकर जमकर बहस हुई कि किसकी वजह‍ से तालिबान को अमेरिका पर जीत हासिल हुई और कैसे अब नई कैबिनेट में शक्तियों का बंटवारा होगा. तालिबान की तरफ से आधिकारिक तौर पर हालांकि इस खबर को मानने से इनकार कर दिया गया है.
टॉप लीडर्स के बीच हुई बहस
तालिबान ने 15 अगस्‍त को काबुल पर कब्‍जे के साथ ही पूरे अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा कर लिया था. इसके बाद से ही अफगानिस्‍तान को 'इस्‍लामिक शासन' वाला देश घोषित कर दिया गया है. तालिबान की अंतरिम कैबिनेट में सारे पुरुष हैं और इसमें कुछ सीनियर लीडर्स को ही बड़ी जिम्‍मेदारी दी गई है. कुछ ऐसे हैं जो 20 सालों में अमेरिकी सेनाओं पर हमले में भी शामिल रहे हैं.
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब तालिबान के को-फाउंडर मुल्‍ला अब्‍दुल गनी बरादर पिछले कुछ दिनों से नदारद हैं. बरादर की मौत की खबरें तक मीडिया में आने लगी थीं मगर बरादर ने खुद इन खबरों को खारिज कर दिया है. बीबीसी पश्‍तो ने तालिबान के सूत्रों के हवाले से बताया है बरादर, खलील-उर-रहमान हक्‍कानी जो शरणार्थियों के लिए मंत्री बनाए गए हैं और हक्‍कानी नेटवर्क के अंदर के एक टॉप लीडर के बीच जमकर बहस हुई है. इसके बाद इनके समर्थक भी भिड़ गए थे.
किसकी वजह से मिली अमेरिका पर जीत
कतर में तालिबान के एक सीनियर लीडर और एक व्‍यक्ति जो इन लोगों से जुड़ा है, उसकी तरफ से भी इस बात की पुष्टि की गई है कि पिछले हफ्ते राष्‍ट्रपति निवास में बहस हुई है. सूत्रों की तरफ से बताया जा रहा है कि बरादर जिन्‍हें नया डिप्‍टी प्राइम मिनिस्‍टर बनाया गया है वो नई अंतरिम सरकार के ढांचे से खुश नहीं हैं. इसके अलावा अफगानिस्‍तान में अमेरिका पर मिली जीत का श्रेय किसे दिया जाए, इसे लेकर भी मतभेद हैं.
बरादर मानते हैं कि नई सरकार में उस कूटनीति पर जोर दिया जाए जो उन जैसे लोगों की तरफ से पिछले कुछ वर्षों से अंजाम दी जा रही है. जबकि हक्‍कानी ग्रुप के लोग मानते हैं कि बिना लड़ाई के कुछ हासिल नहीं होगा. हक्‍कानी संगठन में ज्‍यादातर तालिबान के सीनियर लीडर्स शामिल हैं. बरादर ने ही सबसे पहले पूर्व अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से साल 2020 में टेलीफोन पर बात की थी. इससे पहले वो दोहा समझौता साइन कर चुके थे जिसमें अमेरिकी सेनाओं के अफगानिस्‍तान से जाने की बात शामिल थी.
अलग-अलग बयानों से कनफ्यूजन
सोमवार को बरादर की तरफ से एक ऑडियो जारी किया गया था. इस ऑडियो में तालिबान के को-फाउंडर की तरफ से कहा गया था कि वो पूरी तरह से ठीक हैं और दौरे पर थे. हालांकि अभी तक इस ऑडियो की पुष्टि नहीं हो सकी है. तालिबान की तरफ से भी इस बात से इनकर कर दिया गया है कि कोई बहस राष्‍ट्रपति महल में हुई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि बरादर पूरी तरह से सुरक्षित हैं.
तालिबान और बरादर की तरफ से दिए गए बयान अलग हैं और इनसे ही कई बातों के कयास लगाए जा रहे हैं. फिर एक प्रवक्‍ता की तरफ से कहा गया है कि वो कंधार गए थे जहां पर उन्‍हें तालिबान के सुप्रीम लीडर से मुलाकात करनी थी. मगर बाद में बीबीसी पश्‍तो को बताया गया कि बरादर थके हुए थे और आराम करना चाहते थे.
अभी तक तालिबान के सुप्रीम कमांडर हबीतुल्‍ला अखुंजदा को लेकर रहस्‍य बना हुआ है. अखुंजदा को कभी भी सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया है. वो तालिबान के राजनीतिक, सैन्‍य और धार्मिक मामलों का मालिक है.


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