रिपोर्ट का दावा: पाकिस्तान के नेताओं और सेना के अधिकारियों को भारतीय हैकरों ने बनाया निशाना
इस काम के लिए उन्हें 3,000 से 20,000 डॉलर तक का भुगतान किया जाता है।
लंदन: अवैध हैकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने वाली कंपनियां पूरे भारत में अपने काम को अंजाम दे रही हैं और वे विशिष्ट लोगों (वीआईपी) तथा देशों के ई-मेल और फोन में सेंधमारी कर रही हैं। रविवार को सामने आई एक खबर में यह दावा किया गया। इसके मुताबिक, इस हैंकिंग को अंजाम देने के लिए भुगतान दुनियाभर के निजी जासूसों द्वारा किया जा रहा है। इन हैंकिंग कंपनी को ''हैक फोर फायर'' के नाम से पहचाना जा रहा है। 'द संडे टाइम्स' और 'ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म' ने कई भारतीय हैकर का पर्दाफाश करने के लिए एक स्टिंग ऑपरेशन किया।
इसमें सामने आया कि तानाशाह देशों, ब्रिटिश वकीलों और अपने अमीर ग्राहकों के लिए काम करने वाले निजी जासूसों के वास्ते हैकर, पीड़ितों के निजी ईमेल खातों और संदेशों को हैक करने के लिए अपनी सेवाओं की पेशकश कर रहे हैं। इस साल की शुरुआत में भारत में की गई खुफिया पड़ताल और लीक दस्तावेजों के मुताबिक, निजी जासूस बने पत्रकारों का दावा है कि एक गिरोह ने पाकिस्तान के राजनेताओं, जनरल और राजनयिकों के स्वामित्व वाले ''कंप्यूटर पर नियंत्रण'' कर लिया और ''जाहिर तौर पर भारतीय खुफिया सेवाओं के इशारे पर उनकी निजी बातचीत को सुना।''
गुरुग्राम से चल रहा है गिरोह
खबर में दावा किया गया कि हैकिंग में लगे 'व्हाइट इंट' गिरोह का संचालन हरियाणा में गुरुग्राम के एक चार मंजिला अपार्टमेंट से किया जाता है। इसमें यह भी दावा किया गया कि इसका मुख्य कर्ताधर्ता 31 वर्षीय युवक है जो एक ब्रिटिश लेखा कंपनी के भारत स्थित कार्यालय में काम करता है। खबर में दावा किया गया कि सात साल से वह कंप्यूटर हैकर का एक नेटवर्क चला रहा है।
माइक्रोफोन और कैमरे भी करते हैं हैक
इस नेटवर्क को ब्रिटेन के निजी जासूसों ने अपने लक्ष्यों के ईमेल इनबॉक्स में सेंधमारी के लिए काम पर रखा है। हैकिंग सॉफ्टवेयर के जरिये हैकर कंप्यूटर के कैमरों और माइक्रोफोन में सेंधमारी कर अपने लक्ष्य के कैमरे की गतिविधियों को देखने के साथ ही बातचीत भी सुन पाते हैं। इस काम के लिए उन्हें 3,000 से 20,000 डॉलर तक का भुगतान किया जाता है।