रिपोर्ट: अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद 80 फीसद पत्रकारों ने अपना पेशा बदला
महिला पत्रकारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, अब पांच में से चार काम नहीं कर रही हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश के लगभग 80 फीसद पत्रकारों ने अपना पेशा बदल लिया है। द खामा की रिपोर्ट के मुताबिक, अफानिस्तान के पत्रकार फाउंडेशन ने बताया है कि देश में पत्रकार काफी खराब स्थिति से गुजर रहे हैं। 79 फीसद की नौकरियां चली गई हैं और उन्हें पैसा कमाने और जीवित रहने के लिए अन्य व्यवसायों का सहारा लेना पड़ रहा है।
इससे पहले के आंकड़े बताते हैं कि अफगानिस्तान में 75 फीसद तक मीडिया वित्तीय संकट के कारण बंद हो गया है। पूर्वी अफगानिस्तान में अफगान पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रमुख यूसुफ जरीफी ने टोलो न्यूज को बताया कि पूर्व सरकार के पतन के बाद से, नंगरहार, लघमन, नूरिस्तान के पूर्वी प्रांतों में छह रेडियो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है। इनमें से पांच आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे थे जिस कारण उनका संचालन रोकना पड़ा। एक अन्य को कर्माचरियों की कमी के कारण बंद करना पड़ा था।
द खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे अफगानिस्तान में 462 अफगान पत्रकारों ने सर्वेक्षण में हिस्सा लिया, जिनमें 390 पुरुष और 72 महिलाएं थीं। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ पत्रकारों ने अपनी आर्थिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी नौकरी खो दी है क्योंकि कई मीडिया आउटलेट्स का हाल ही में संचालन बंद कर दिया गया है। तलिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद फाउंडेशन ने पिछले डेढ़ महीनों में अफगान पत्रकारों के जीवन का आकलन किया और पाया कि वे नाजुक आर्थिक स्थिति के कारण सबसे खराब जीवन जी रहे हैं।
द खामा प्रेस ने बताया कि फाउंडेशन ने अफगान पत्रकारों की आर्थिक स्थिति की तरफ ध्यान खींचते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात का आह्वान किया है। रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स (RSF) और अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन (AIJA) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि अगस्त के बाद से अफगानिस्तान में 40 फीसद मीडिया आउटलेट्स ने काम करना बंद कर दिया है, और 80 फीसद महिला पत्रकार और मीडियाकर्मी बेरोजगार हो गए हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है, कुल 231 मीडिया आउटलेट को बंद करना पड़ा है और 15 अगस्त के बाद से कई पत्रकारों ने अपनी नौकरी खो दी है। महिला पत्रकारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, अब पांच में से चार काम नहीं कर रही हैं।