आबू धाबी ड्रोन हमले में भारतीयों की मौत के बाद बिगड़ सकते हैं भारत संग रिश्ते

भारतीयों की मौत के बाद बिगड़ सकते हैं भारत संग रिश्ते

Update: 2022-01-17 14:34 GMT
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी आबू धाबी (Abu Dhabi) में सोमवार को हूती विद्रोहियों ने दो ड्रोन हमले किए. इन हमलों की वजह से तीन तेल टैंकरों में विस्फोट हुआ और एक एयरपोर्ट पर आग गई. इन हमलों में तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें दो भारतीय और एक पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं. इसके अलावा, छह अन्य लोग इस ड्रोन हमले (Drone Attack in Abu Dhabi) में घायल हुए हैं. अभी तक आबू धाबी पुलिस ने ड्रोन हमलों के पीछे किसी पर संदेह नहीं जताया है. हालांकि, यमन (Yemen) के हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
यमन में 2015 से जारी गृहयुद्ध में हूती विद्रोहियों को लंबे समय से ईरान समर्थन कर रहा है. सऊदी अरब और UAE की गठबंधन वाली सेनाएं हूती विद्रोहियों से जंग लड़ रही हैं. ईरान द्वारा मिलने वाले हथियारों के जरिए ही हूती विद्रोही जंग लड़ रहे हैं. लेकिन यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस बार हूतियों के ड्रोन हमलों में दो भारतीयों की मौत हुई है. इसके अलावा, UAE के एक मालवाहक जहाज को हूतियों ने बंधक बनाया है, जिस पर सात भारतीय सवार हैं. भारत ने उनकी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है. ऐसे में इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या इन वजहों से भारत और ईरान के रिश्ते बिगड़ सकते हैं?
ईरान और हूती विद्रोहियों के रिश्ते कैसे हैं?
हूती विद्रोहियों को लेकर कहा जाता है कि उसे ईरान से बड़ी मदद मिलती है. ये मदद हथियारों और पैसे दोनों रूप में होती है. लेबनान के शिया हिजबुल्लाह समूह को ईरान पहले से ही मदद पहुंचाता रहा है और हूती विद्रोही भी उसी की तरह रणनीति बनाते हैं. यही वजह है कि हिजबुल्लाह और ईरान हूती विद्रोहियों को बंदूकें, मिसाइल, मिलिट्री ट्रेनिंग और पैसा मुहैया कराते रहे हैं. दरअसल, सऊदी अरब और ईरान की बनती नहीं है और कहा जाता है कि ईरान हूती विद्रोहियों के जरिए सऊदी से प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है. ईरान का हूती विद्रोहियों पर कितना प्रभाव है, इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. लेकिन हूती विद्रोहियों के निर्णय लेने की क्षमता पर कई बार ईरान का प्रभाव देखने को मिलता है.
भारत और ईरान के संबंध कैसे हैं?
भारत और ईरान के बीच शताब्दियों से संबंध रहे हैं. आजाद भारत और ईरान के बीच राजनयिक रिश्तों की नींव 15 मार्च 1950 को पड़ी. ईरान में भारत के दूतावास के अलावा, दो वाणिज्य दूतावास भी हैं. 1979 में ईरानी क्रांति के बाद संबंधों में थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव देखने को मिला, क्योंकि तेहरान ने कश्मीर मुद्दे पर बयानबाजी की. हालांकि, इन सबके बाद भी दोनों मुल्कों के बीच आर्थिक रिश्ते बढ़ते रहे हैं. हाल के सालों में दोनों देशों के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं. भारत ईरान से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है. दोनों मुल्कों के बीच 2020 में 4.7 अरब डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ.
ईरान भारत के लिए मध्य एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है. पाकिस्तान की वजह से भारत को मध्य एशिया तक पहुंच हासिल करने में कठिनाई होती रही है. लेकिन अब ईरान के जरिए भारतीय माल मध्य एशिया तक पहुंच पाता है. 1995 में एक समझौते के अनुसार भारतीय सामान ईरान के बंदरगाह बंदर-ए- अब्बास से होकर तुर्कमेनिस्तान द्वारा मध्य एशिया पहुंचाया जाने लगा. भारत और ईरान के रिश्ते कितने बेहतर हैं, इसका नमूना हाल ही में देखने को मिला, जब ईरान ने अफगानिस्तान में मदद भेजने के लिए अपने देश के दरवाजे खोले. ईरान अफगानिस्तान में कनेक्टिविटी के लिए बेहद जरूरी है.
भारत अपनी ऊर्जा जरूरत के लिए ईरान पर निर्भर है, क्योंकि बड़ी मात्रा में तेहरान से तेल को आयात किया जाता है. इसके अलावा, भारत और ईरान के बीच IPI (ईरान, पाकिस्तान, इंडिया) गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए समझौता भी हुआ है. इसके इतर, चाबहार परियोजना एक ऐसा प्रोजेक्ट है, जिस पर सबकी नजरें रहती हैं. दरअसल, भारत द्वारा ईरान के चाबहार का विकास करने पर इसे दोहरा लाभ मिलेगा. ये अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरोप तक जाने का गेटवे होगा. इसके अलावा, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को टक्कर देते हुए चीन के बढ़ते प्रभाव को हिंद महासागर में रोकने का काम करेगा.
क्या भारतीयों की मौत के बाद बिगड़ेंगे भारत-ईरान के रिश्ते?
हूती विद्रोहियों के समर्थन को लेकर ईरान की दुनियाभर में आलोचना होती रही है. हालांकि, ईरान ने लगातार इस बात से पल्ला झाड़ा है कि वह विद्रोहियों को हथियार, पैसा या किसी तरह का समर्थन मुहैया कराता है. वहीं, अब भारतीयों की मौत के बाद भारत और ईरान के रिश्तों पर भी सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, भले ही नई दिल्ली और ईरान के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं, लेकिन नई दिल्ली हमेशा से ही आतंक को लेकर जीरो-टोलरेंस की नीति अपनाता रहा है. ऐसे में हो सकता है कि भारत ईरान को हूती विद्रोहियों पर कार्रवाई करने को कहे दें. लेकिन इस बात की भी चर्चा है कि दोनों देशों के रिश्ते पर इस घटना से ज्यादा असर देखने को नहीं मिलने वाला है.
Tags:    

Similar News

-->