कनाडा के शरणार्थी बोर्ड ने सिखों के खालिस्तानी समर्थक होने को सिरे से नकारा
ओटावा। कनाडा सरकार ने ऐसे ज्यादातर दावों को खारिज कर दिया है, जिनमें सिखों को खालिस्तानी समर्थक बताया गया था। हालांकि कनाडा में सिख समुदाय के लोगों द्वारा खुद को खालिस्तान समर्थक बताकर शरणार्थी बनने के दावों में कमी नहीं आ रही है, लेकिन कनाडाई सरकार ने छानबीन के बाद सैकड़ों ऐसे दावों को खारिज कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा के आन और शरणार्थी बोर्ड (आई.आर.बी.) ने 2023 की पहली तिमाही में 833 दावों की स्वीकार किया, जबकि 222 को खारिज कर दिया है। आई.आर.बी. के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कि 2022 में 3,469 लोगों के दानों की स्वीकार किया गया था, जबकि 3,797 लोगों के खारिज कर दिए गए थे। ये लोग जबरन अपने पर खालिस्तानी होने का टैग लगाकर अपने लोगों के खिलाफ जहर उगलते हैं, ताकि उन्हें वहां पर शरणार्थी के तौर पर अपना लिया जाए। बताया जाता है कि शरण हासिल करने के लिए हलफनामा देना पड़ता है।
एक सच्चाई यह भी है कि पंजाब के सिख समुदाय के कुछ लोगों के सिर पर कनाडा में बसने का ऐसा जनून है कि वे खुद को खालिस्तानी समर्थक बनने के झूठे दावे करने से गुरेज नहीं करते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कनाडा सरकार ने शिनाख्त करने के नियम कड़े कर दिए हैं और काफी लोगों के दावे खारिज भी किए जा रहे हैं। लोग कनाडा की शरण हामिल करने के लिए हलफनामा दायर कर भारत पर राजनीतिक हिंसा का आरोप लगाते हैं। जबकि भारत की जमीन पर खालिस्तानी आंदोलन कहीं नहीं दिखाई देता है। ब्रिटेन में एक स्टिंग ऑपरेशन में तो यह भी दावा किया गया है कि वकील ही सिख समुदाय के लोगों को खालिस्तान समर्थक होने का दावा करने की सलाह दे रहे हैं ताकि उन्हें वहां शरणार्थी का दर्जा दिला जा सके।
पंजाब के एक जोड़े ने दावा किया था कि खालिस्तान आंदोलन से उनके कवित संबंधों के कारण अगर उन्हें भारत भेजा गया तो उनकी जान को खतरा है, लेकिन कनाडाई अधिकारियों ने उन्हें शरणार्थी बनाने से इनकार कर दिया।
जानकारी के मुताबिक मॉन्ट्रियल में रहने वाले राजविंदर कौर और रणधीर सिंह ने शरणार्थी होने की स्थिति का दावा किया था, लेकिन कनाडा के आव्रजन और शरणार्थी बोर्ड (आई.आर.बी) ने इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने दावा किया था कि ये राजनीतिक हिंसा के शिकार थे। कौर ने कहा था कि उनके पति को आंतरिक सुरक्षा के संदेह में पुलिस ने गिरफ्तार किया और प्रताड़ित किया। उनका अपराध यह था कि उन्होंने आजादी की मांग कर रहे कट्टरपंथी सिखों को आश्रय दिया था। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि विदेशों में प्रवासी खालिस्तानी चरमपंथियों की संख्या बहुत कम है. लेकिन इनकी आक्रामकता के कारण उनकी संख्या को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होती है। कनाडा में पहुंचे लोगों को भारत विरोधी गतिविधियां करने के लिए मजबूर किया जाता है।