यहां गिरा दुर्लभ उल्‍कापिंड, पृथ्‍वी पर पता चलेगा जीवन का इतिहास, खुलेंगे कई राज

उल्‍कापिंड बेहद दुर्लभ प्रकृति का है

Update: 2021-03-11 14:26 GMT

ब्रिटेन में 28 फरवरी को गिरा उल्‍कापिंड बेहद दुर्लभ प्रकृति का है। इससे सोलर सिस्‍टम और पृथ्‍वी पर जीवन का इतिहास पता चल सकता है। वैज्ञानिकों ने करीब 300 ग्राम के इस उल्‍कापिंड को विंचकोम्‍बे कस्‍बे से बरामद किया है। यह उल्‍कापिंड कार्बनमय कॉन्ड्राइट से बना है। यह पदार्थ सौर व्‍यवस्‍था के सबसे प्राचीन और प्रारंभिक पदार्थ से बना है।


इस पदार्थ के अंदर ऑर्गेनिक मटिरियल और एमिनो एसिड पाया जाता है जो जीवन के लिए जरूरी है। लंदन के नेचुरल हिस्‍ट्री म्‍यूजियम ने कहा कि उल्‍कापिंड का टुकड़ा बहुत अच्‍छी स्थिति में है। इसे गिरने के तुरंत बाद बरामद कर लिया गया। इस उल्‍कापिंड की तुलना अंतरिक्ष मिशन से लाए गए नमूनों से गुणवत्‍ता और आकार में की जा सकती है।

28 फरवरी को विशाल उल्‍कापिंड आकाश से गिरते देखा गया


द ओपेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रिचर्ड ग्रीनवुड ने कहा, 'जब मैंने इसे देखा तो मैं आश्‍चर्य में था। मैं तुरंत ही समझ गया था कि यह एक दुर्लभ उल्‍कापिंड है और अपने आप में बहुत खास है। ग्रीनवुड पहले ऐसे वैज्ञानिक हैं जिन्‍होंने इस उल्‍कापिंड की पहचान की है। बता दें कि ब्रिटेन की राजधानी लंदन, बर्मिंघम, ब्रिस्‍टोल और अन्‍य इलाकों में पिछले 28 फरवरी को एक विशाल उल्‍कापिंड आकाश से गिरते देखा गया था।
उल्‍कापिंड के गिरने से लोग दहशत में आ गए। कई लोगों ने ट्वीट करके कहा कि उन्‍होंने इतना विशाल उल्‍कापिंड पहले कभी नहीं देखा था। कई लोग उल्‍का के गिरने का वीडियो बनाने में सफल रहे और उन्‍होंने ट्वीट करके इसे शेयर किया है। बताया जा रहा है कि रात करीब 10 बजे उल्‍कापिंड आकाश से गिरा। इसे पूरे ब्रिटेन में देखा गया। आमतौर पर उल्‍कापिंड प्रतिघंटे हजारों मील का सफर तय करते हैं लेकिन जब वे पृथ्‍वी के वातावरण में प्रवेश करते हैं तो जल उठते हैं और बहुत तेज प्रकाश करते हैं। एक यूजर शेन मान ने कहा कि मैंने अभी-अभी एक उल्‍का को पश्चिमी लंदन में गिरते देखा है। यह चौंका देने वाला है।'
स्टडी में बताया गया है कि पहले किसी विनाशकारी घटना में ऐस्टरॉइड बहुत ज्यादा गर्म हुआ होगा, इसका पानी खत्म हो गया होगा और फिर यह टूट गया होगा। इसके बावजूद इसने जैसे खुद को दोबारा बनाया और स्पेस से आती धूल या कार्बन से भरे उल्कापिंडों की मदद से इस पर फिर से पानी बनने लगा। इस स्टडी में दिखाया गया है कि S-टाइप के ऐस्टरॉइड, जहां से ज्यादातर ऐस्टरॉइड धरती पर आते हैं, उन पर जीवन के लिए जरूरी मटीरियल होते हैं। चान ने बताया कि कार्बनेशनस ऐस्टरॉइड्स की तरह इन चट्टानी ऐस्टरॉइड्स पर कार्बन से भरा मटीरियल भले ही ज्यादा न हो लेकिन उनकी केमिस्ट्री और पानी की मात्रा हमारी शुरुआती धरती जैसी होती है।

खास बात यह है कि अगर हमारे ब्रह्मांड में धरती जैसा कोई और ग्रह हो, तो वहां Itokawa जैसा ऐस्टरॉइड जीवन पैदा कर सकता है। अब धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए C-टाइप कार्बन से भरे ऐस्टरॉइड्स पर ध्यान दिया जाता है। डॉ. चान ने बताया कि इस खोज से ऐस्टरॉइड्स से सैंपल धरती पर लाने की अहमियत का पता चलता है। Itokawa की धूल के सिर्फ एक कण, जिसे Amazon नाम दिया गया है, इसकी स्टडी ने गर्म होने से पहले के प्रिमिटिव और गर्म हो चुके प्रोसेस्ट ऑर्गैनिक मैटर को संभालकर रखा है। इससे पता चला है कि ऐस्टरॉइड को कभी 600 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करना पड़ा था। डॉ. चान का कहना है कि प्रिमिटिव ऑर्गैनिक मैटर को देखकर कहा जा सकता है कि यह तब इस पर पहुंचा होगा जब ऐस्टरॉइड ठंडा हो चुका था।

पिछले साल दिंसबर में JAXA का Hayabusa 2 कैप्सूल धरती के करीबी ऐस्टरॉइड Ryugu से सैंपल लेकर लौट चुका है। Hayabusa 2 मिशन दिसंबर 2014 में लॉन्च किया गया था। यह 2018 में Ryugu पर पहुंचा और 2019 में सैंपल इकट्ठा किए गए जिनमें से कुछ सतह के नीचे थे। Hayabusa 2 कैप्सूल पहली बार किसी ऐस्टरॉइड के अंदरूनी हिस्से से चट्टानी सैंपल लेने वाला मिशन बना है। ऐसा दूसरी बार है कि किसी ऐस्टरॉइड से अनछुए मटीरियल को धरती पर वापस लाया गया है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सैंपल्स की मदद से धरती पर जीवन की उत्पत्ति से जुड़े जवाब मिल सकेंगे। ऐस्टरॉइड की सतह से लिए गए सैंपल में मूल्यवान डेटा मिल सकता है क्योंकि यहां स्पेस रेडिएशन और दूसरे फैक्टर्स का असर नहीं होता है।

'यह उल्‍कापिंड बहुत धीमी गति से धरती पर गिरा'
ब्रिटेन के उल्‍कापिंड की निगरानी करने वाली संस्‍था ने ट्वीट करके कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि ब्रिटेन और आयरलैंड के बहुत से लोग रात करीब 9:55 पर आए उल्‍कापिंड को देखने में सफल रहे। बताया जा रहा है कि यह उल्‍कापिंड बहुत धीमी गति से धरती पर गिरा। पूरे ब्रिटेन में उल्‍कापिंड का गिरना चर्चा का विषय बन गया। उल्‍का के गिरने का वीडियो अब तक हजारों की तादाद में लोग देख चुके हैं।


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