तूफानी हवाओं से तेजी से फैली आग, एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत

इस घटना को जापान के इतिहास की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक माना जाता है.

Update: 2021-03-02 02:41 GMT

दुनियाभर में आए दिन आग लगने की घटनाएं (Fire Incidents) सामने आती रहती हैं, जिनमें भारी नुकसान तो होता ही है, साथ ही लोगों की जान भी चली जाती है. आग लगने की कई घटनाएं इतनी भयानक भी होती हैं, कि उन्हें हमेशा याद किया जाता है. ऐसी ही एक घटना जापान (Japan) में भी हुई थी. जिसे ग्रेट फायर ऑफ मीरेकी (Great fire of Meireki) के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा इस आग की घटना को फ्यूरिसोड फायर (Furisode Fire) के नाम से भी जाना जाता है. जिसने जापान की राजधानी टोक्यो (Tokyo) को 60 से 70 फीसदी तक बर्बाद कर दिया था.

आग लगने की ये घटना आज ही के दिन यानी 2 मार्च को, साल 1657 (2 March History) में हुई थी. आग इतनी भयानक थी कि ये तीन दिन तक धधकती रही. ऐसा माना जाता है कि इसके कारण एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इतिहास में बताया जाता है कि ये आग एक पुजारी से दुर्घटनावश लग गई थी. वह एक शापित किमोनो (kimono) को जला रहा था. ये किमोनो तीन टीनेज लड़कियों को पहनना था, लेकिन इसे पहनने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी (Great Fire of Meireki Edo). जब इस कपड़े में आग लगाई गई तो हवा का एक तेज झोंका आया, जिससे लकड़ी के उस मंदिर में भीषण आग लग गई. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, ये आज तक पता नहीं चल सका है.
तूफानी हवाओं से तेजी से फैली आग
एडो होंगो जिले में लगी ये आग धीरे-धीरे पूरे शहर में फैल गई, जिसका सबसे बड़ा कारण तूफानी हवाएं भी बताया जाता है. उस समय अधिकतर घरों को बनाने में लकड़ी और कागजों का ही इस्तेमाल किया जाता था. आग नए साल के 18वें दिन लगी थी और इसके पिछले साल सूखे की समस्या भी आ गई थी, जिसके चलते अधिकतर इमारतें सूखी हुई थीं (Site of The Great Fire of Meireki). इसके अलावा इमारतों के आसपास की सड़कें और बाकी खुले स्थाल छोटे और एक दूसरे के काफी करीब थे. जिससे आग तेजी से फैलती गई और धीरे-धीरे बड़े इलाकों को उसने अपनी चपेट में ले लिया. ऐसी ही कई घटनाएं पहले यूरोपीय देशों में भी देखी गई थीं.
शहर के केंद्र तक पहुंची आग
आग लगने के अगले दिन शाम के समय हवा की दिशाओं में परिवर्तन हो गया था. जिसके चलते आग शहर के केंद्र तक पहुंच चुकी थी. आखिर में कुछ प्रमुख इमारतें तो बच गईं लेकिन बाकी इमारतें और वहां काम करने वाले लोगों के घर जलकर खाक हो गए थे. आखिरकार तीसरे दिन हवाओं की गति में कमी आई और आग की भीषणता भी फिर कम होने लगी. लेकिन धुएं की एक मोटी परत अब भी शहर के वातावरण में देखने को मिल रही थी (The Great Fire of Meireki). इसके बाद फिर मृतकों के शवों को निकालने का काम शुरू हुआ और इमारतों एवं घरों का पुर्निर्माण कार्य किया जाने लगा. शहर की हालत सुधारने में कई साल का वक्त लग गया था.
सरकार ने लोगों को मदद दी
सभी मृतकों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और उस स्थान पर इनके लिए एक प्रार्थना स्थल (Hall of Prayer for the Dead) का निर्माण किया गया. पुनर्निमाण कार्य में दो साल का वक्त लग गया. इसके साथ ही कई तरह के सुधार भी किए गए थे. जैसे सड़कों को चौड़ा किया गया. कई जिलों के लिए दोबारा योजना बनाई गई और उन्हें पुनर्गठित किया गया. इसके बाद फिर देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और संरक्षित करने पर काम शुरू हुआ. आम लोगों को घरों का निर्माण करने के लिए सरकार की ओर से पैसे दिए गए. इस घटना को जापान के इतिहास की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक माना जाता है.


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