श्रीलंका में 6 बार प्रधानमंत्री रहे रानिल विक्रमसिंघे बने राष्ट्रपति, विरोध के बीच दिलाई गई शपथ

श्रीलंका में उथलपुथल के बीच नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. 73 वर्षीय विक्रमसिंघे ने गुरुवार को कोलंबो में संसद भवन परिसर में शपथ ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जयंत जयसूर्या ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को एक दिन पहले ही राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया था. हालांकि इसका भी विरोध हुआ था क्योंकि सरकार विरोधी कई प्रदर्शनकारी उन्हें पूर्ववर्ती राजपक्षे शासन से जुड़ा हुआ मानते हैं. श्रीलंका की संसद में 44 साल बाद सीक्रेट वोटिंग के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव किया गया था. 1978 के बाद ये पहला मौका रहा, जब देश में जनादेश के जरिए नहीं बल्कि सांसदों ने गुप्त मतदान के जरिए नए राष्ट्रपति को चुना. इस वोटिंग में बाजी रानिल विक्रमसिंघे के हाथ लगी. उनका मुकाबला दुल्लास अल्हाप्पेरुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके से था. पीटीआई के मुताबिक, 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में हुई वोटिंग में विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले, जबकि सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेता दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिल पाए. वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को महज 3 वोटों से संतोष करना पड़ा. राजनीति में आने से पहले रानिल विक्रमसिंघे वकील थे. 1949 में जन्मे विक्रमसिंघे 1977 में 28 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे. वह श्रीलंका के पहले कार्यकारी राष्ट्रपति जूनियस जयवर्धने के भतीजे हैं. विक्रमसिंघे पिछले 45 साल से श्रीलंका की संसद में हैं. जयवर्धने की सरकार में जब विक्रमसिंघे ने उप विदेश मंत्री का पद संभाला था तो वह श्रीलंका के सबसे कम उम्र में मंत्री बनने वाले शख्स थे. रानिल विक्रमसिंघे छह बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. पहली बार 1993-1994 में उन्हें प्रधानमंत्री पद तब मिला था, जब राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदास की हत्या कर दी गई थी. उसके बाद 2001 के आम चुनाव में यूनाइटेड नेशनल पार्टी की जीत बाद उन्होंने फिर से पीएम की कुर्सी संभाली और 2004 तक उस पर रहे. इसके बाद वह फिर से प्रधानमंत्री बने लेकिन अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने उन्हें बर्खास्त करके महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री बना दिया था. इससे श्रीलंका में संवैधानिक संकट पैदा हो गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर राष्ट्रपति को विक्रमसिंघे को बहाल करना पड़ा. PROMOTED CONTENT By श्रीलंका में ऐतिहासिक आर्थिक संकट के बीच इस साल मई में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को छठी बार प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. लेकिन 9 जुलाई को जब जनता का गुस्सा राष्ट्रपति भवन पर फूटा तो उसकी चपेट में विक्रमसिंघे भी आए थे. राष्ट्रपति भवन में धावा बोलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के घर को भी आग के हवाले कर दिया था. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी | टॉप वीडियो Tags: Economic crisis, Sri lanka FIRST PUBLISHED : July 21, 2022, 12:44 IST Promoted Content Recommended by फोटो द्रौपदी मुर्मू: पार्षद से देश की 15वीं राष्ट्रपति तक का सफर, जानें संघर्ष की कहानी द्रौपदी मुर्मू: पार्षद से देश की 15वीं राष्ट्रपति तक का सफर, जानें संघर्ष की कहानी 'Liger' ट्रेलर लॉन्च में चप्पल पहनकर आए विजय देवरकोंडा, हाई स्लिट ड्रेस में अनन्या पांडे ने लूटी महफिल 'Liger' ट्रेलर लॉन्च में चप्पल पहनकर आए विजय देवरकोंडा, हाई स्लिट ड्रेस में अनन्या पांडे ने लूटी महफिल जैकलीन फर्नांडिस ने लगाया ग्लैमर का तड़का, शेयर करते ही वायरल हुईं उनकी Glamorous Pics जैकलीन फर्नांडिस ने लगाया ग्लैमर का तड़का, शेयर करते ही वायरल हुईं उनकी Glamorous Pics और देखें राशिभविष्य मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु मकर कुंभ मीन prevnext प्रश्न पूछ सकते हैं या अपनी कुंडली बनवा सकते हैं । और भी पढ़ें टॉप स्टोरीज 'नेशनल मैंगो डे' पर बनाएं टेस्टी मैंगो फालूदा, बेहद आसान है रेसिपी 'नेशनल मैंगो डे' पर बनाएं टेस्टी मैंगो फालूदा, बेहद आसान है रेसिपी LIVE: आज संसद में द्रौपदी मुर्मू को दी जाएगी राष्ट्रपति निर्वाचित होने की बधाई LIVE: आज संसद में द्रौपदी मुर्मू को दी जाएगी राष्ट्रपति निर्वाचित होने की बधाई बिहार में झमाझम बारिश के आसार, आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी बिहार में झमाझम बारिश के आसार, आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी 24 जुलाई को सावन की पहली एकादशी, जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें 24 जुलाई को सावन की पहली एकादशी, जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें अधिक पढ़ें You Might Also Like Recommended by अगली ख़बर HOME / NEWS / WORLD / EXPLAINED CAN EUROPEAN COUNTRIES LIVE WITHOUT RUSSIAN NATURAL GAS CRS EXPLAINED: पुतिन के तेवर से अब सर्दी भी यूरोप पर पड़ेगी भारी! रूस की नेचुरल गैस के अभाव में कैसे होगा गुजारा रूस ने ब्रिटेन को दी जाने वाली नेचुरल गैस की आपूर्ति में काफी हद तक कमी कीरूस ने ब्रिटेन को दी जाने वाली नेचुरल गैस की आपूर्ति में काफी हद तक कमी की Europe Energy Crisis: यूरोप में रूस से आने वाली नेचुरल गैस की सप्लाई बाधित होने से ऊर्जा संकट के बादल मंडराने लगे हैं. रूस पहले ही यूरोप जाने वाली प्राकृतिक गैस के प्रवाह को कम कर चुका है. यह गैस ऊर्जा फैक्ट्री, बिजली पैदा करने और सर्दियों में घरों को गर्म करने में इस्तेमाल होती है. पुतिन ने चेतावनी दी थी कि वह इसे लगातार घटाते रह सकते हैं. अधिक पढ़ें ... NEWS18HINDI LAST UPDATED : JULY 22, 2022, 05:00 IST Follow us on Editor picture EDITED BY :Chandrashekhar Gupta संबंधित खबरें यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर यूरोपीय संघ का रूस के खिलाफ और अधिक प्रतिबंध यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर यूरोपीय संघ का रूस के खिलाफ और अधिक प्रतिबंध क्या रूस की प्राकृतिक गैस के बिना रह सकता है यूरोप? क्या रूस की प्राकृतिक गैस के बिना रह सकता है यूरोप? भीषण गर्मी में जल रहा ब्रिटेन, एयरपोर्ट के रनवे और रेलवे ट्रैक भी पिघले भीषण गर्मी में जल रहा ब्रिटेन, एयरपोर्ट के रनवे और रेलवे ट्रैक भी पिघले अस्ताना पीस समिट में क्यों भिड़े तुर्की-ईरान, रूस ईरान का बड़ा समझौता अस्ताना पीस समिट में क्यों भिड़े तुर्की-ईरान, रूस ईरान का बड़ा समझौता हाइलाइट्स रूस ने यूरोप को दी जाने वाली नेचुरल गैस की सप्लाई कम की बिजली पैदा करने और सर्दियों में घरों को गर्म करने में इस्तेमाल होती है गैस यूरोप में सर्दियों में उद्योगों को चलाने के लिए संघर्ष करना होगा लंदन: रूस से जर्मनी जाने वाली नोर्ड स्ट्रीम 1 (गैस) पाइपलाइन को नियमित रखरखाव के चलते बंद किये जाने से पहले से ही यूरोप ऊर्जा संकट से जूझ रहा था. हालांकि ऐसे संकेत मिले थे कि गुरुवार से कम से कम कुछ गैस प्रवाहित किए जाने की संभावना है. लेकिन अभी तक इसके शुरू होने को लेकर असमंजस बना हुआ है और सरकारी अधिकारी इस बात को लेकर अधर में लटके हुए थे कि यह अहम पाइपलाइन वक्त रहते शुरू होगी या नहीं. उनका कहना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यूक्रेन को लेकर यूरोपियन संघ के साथ उनके टकराव में राजनीतिक लाभ के लिए ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं. रूस पहले ही यूरोप जाने वाली प्राकृतिक गैस के प्रवाह को कम कर चुका है. यह गैस ऊर्जा फैक्ट्री, बिजली पैदा करने और सर्दियों में घरों को गर्म करने में इस्तेमाल होती है. पुतिन ने चेतावनी दी थी कि वह इसे लगातार घटाते रह सकते हैं. नोर्ड स्ट्रीम 1 के जरिए भेजी जाने वाली गैस में रखरखाव से पहले ही 60 फीसद की कटौती शुरू कर दी गई थी. यहां तक कि अगर पाइपलाइन घटे हुए स्तर के साथ दोबारा शुरू भी होती है तो यूरोप को घरों को गर्म रखने और सर्दियों में उद्योगों को चलाने के लिए संघर्ष करना होगा. ऊर्जा संकट को लेकर वो अहम बातें जो जानना ज़रूरी हैं… क्या रूस ने यूरोप जाने वाली गैस बंद कर दी है रूस ने आपूर्ति में काफी हद तक कमी की है. यूक्रेन पर आक्रमण से पहले भी रूस अल्पकालिक स्पॉट-मार्केट में गैस नहीं बेच रहा था. उस पर यूरोपीय संघ ने जब रूस के बैंकों और कंपनियों पर कठोर प्रतिबंध लगाए और यूक्रेन को हथियार भेजना शुरू किया. तो रूस ने छह सदस्य देशों को गैस देना बंद कर दिया. इसके साथ ही 6 और देशों के लिए आपूर्ति कम कर दी. यूरोपियन संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में नोर्ड स्ट्रीम 1 के जरिए प्रवाह वापस दो तिहाई कर दिया गया था. रूस का आरोप है कि एक हिस्सा रखरखाव के लिए कनाडा भेजा गया था जो प्रतिबंध के चलते वापस नहीं आया. यूरोपियन नेतों ने इस आरोप को खारिज करते हुए इस प्रतिबंध को लेकर पुतिन का राजनीतिक हथकंडा बताया था. इस वजह से यूरोपियन संघ के 27 सदस्य आने वाली सर्दी के लिए गैस स्टोरेज को लेकर हाथ पैर मार रहे हैं. यह वह वक्त है जब पॉवर प्लांट को चलाने और घरों को गर्म करने के लिए कंपनियां अपने भंडारण से गैस लेकर उसका उपयोग करती हैं. यूरोपियन संघ का लक्ष्य है कि अब सर्दियों के लिए भंडारण को बनाए रखने के लिए कम गैस का इस्तेमाल किया जाए. फिलहाल यूरोप का गैस भंडारण 65 फीसद ही भरा है, जबकि इसे 1 नवंबर तक 80 फीसद रखने का लक्ष्य है. रूस की प्राकृतिक गैस इतनी अहम क्यों है युद्ध से पहले रूस यूरोप को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करता था. जिसमें 15 फीसद तक गिरावट आ गई है जिससे दाम आसमान छू रहे हैं और उद्योगों पर भी असर पड़ रहा है. गैस का उपयोग ऐसे कई कामों में होता है, जिसके बारे में आमतौर पर लोग नहीं जानते हैं. मसलन कार बनाने के लिए स्टील का इस्तेमाल करने के लिए, ग्लास की बोतल बनाने के लिए, दूध और चीज़ को पास्चुराइज करने के लिए. कंपनियों ने चेताया है कि फ्यूल ऑयल या बिजली से गर्मी पैदा करने जैसे ऊर्जा स्रोतों को रातों रात बदल नहीं सकते हैं. कई मामलों में, उपकरण जिसमें पिघली हुई धातु या ग्लास होता है, गर्मी के हटते ही पूरी तरह खराब हो जाता है. ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने पहले ही यूरोप में मंदी की स्थिति पैदा कर दी है. उपभोक्ताओं को खाने के सामान, फ्यूल और अन्य उपयोग के सामान के लिए खर्च करने के लिए कम है. ऐसे में गैस का पूर्ण कट ऑफ अर्थव्यवस्था को भारी झटका दे सकता है. क्या है नोर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन यह यूरोप जाने वाली सबसे बड़ी गैस पाइपलाइन है, जो रूस से जर्मनी के बाल्टिक सागर के अंदर चलती है और जर्मनी रूसी गैस का अहम स्रोत है. जर्मनी के नेटवर्क नियामक के प्रमुख क्लॉस मुलर ने ट्वीट करते हुए बताया कि रूसी स्वामित्व वाली गज़प्रोम ने गुरुवार को नॉर्ड स्ट्रीम 1 के जरिए लगभग 530 गीगावाट घंटे की गैस देने की योजना को अधिसूचित किया था- यह पाइपलाइन की क्षमता का करीब 30 फीसद है और 800 गीगावाट घंटे से कम है जिसे पहले अधिसूचित किया गया था. उन्होंने कहा, “आगे और भी बदलाव संभव हैं. जिन दिनों पाइपलाइन का रखरखाव होता है तब गैस आपूर्ति करीब 700 गीगावॉट घंटे प्रति दिन रहती है.” रायस्टेड एनर्जी के विश्लेषक कहते हैं कि अगर नोर्ड स्ट्रीम 1 ऐसे ही निष्क्रिय रही तो यूरोप अपनी क्षमता के 65 फीसद तक ही पहुंच पाएगा, जिससे सर्दी के मौसम में गैस खत्म होने का जोखिम पैदा हो जाएगा. इसके अलावा तीन और पाइपलाइन रूसी गैस को यूरोप पहुंचाती हैं, लेकिन एक पोलैंड के जरिए और दूसरी बेलारूस के जरिए आने वाली पाइपलाइन बंद पड़ी है. इसके अलावा यूक्रेन और स्लोवाकिया के जरिए आने वाली पाइपलाइन से भी युद्ध के चलते कम मात्रा में गैस की आपूर्ति हो पा रही है. ऐसे ही तुर्की के जरिए बुल्गारिया जाने वाली पाइपलाइन का भी यही हाल है. क्या है पुतिन की चाल अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार भले ही रूस के तेल और गैस निर्यातक कम ऊर्जा बेच रहे हैं, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी से साफ है कि पुतिन की कमाई वास्तव में बढ़ी है. पेरिस स्थित आईईए का कहना है कि वहीं यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से, यूरोप में तेल और गैस के निर्यात से रूस का राजस्व हाल के वर्षों के औसत से दोगुना होकर $95 बिलियन पर पहुंच गया है. यहां हैरान करने वाली बात यह है कि रूस पूरी सर्दी भर गैस की आपूर्ति करके जितना राजस्व एकत्र करता है उतना उसने महज पांच महीने में हासिल कर लिया है. इसलिए पुतिन के पास नकदी है और शायद वह गणित लगा सकते हैं कि ऊर्जा की मंदी और जरूरी सामान पर बढ़ता बिल का बोझ यूरोप में यूक्रेन के लिए सार्वजनिक समर्थन को कमजोर कर सकता है. साथ ही इससे उनके पक्ष में बातचीत का माहौल बन सकता है. आइईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल का कहना है कि पिछले एक साल में जो कुछ भी देखने को मिला है उसके आधार पर इस संभावना को नकारना नासमझी होगी कि रूस राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए यूरोप को गैस के निर्यात से मिलने वाले राजस्व को छोड़ने का फैसला कर सकता है. वास्तव में पुतिन ने कहा था कि अगर जिस टरबाइन को बदलने के लिए कनाडा भेजा गया है वह जल्दी नहीं हुआ तो नोर्ड स्ट्रीम 1 से भेजी जाने वाली गैस 60 मिलियन से 30 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रति दिन या अपनी क्षमता से करीब पांचवां हिस्सा गिरेगी. कनाडा का कहना है कि उसने वह हिस्सा वापस भेज दिया है लेकिन जर्मनी ने उसके मिलने से इनकार कर दिया है. मंगलवार को तेहरान में ईरान और तुर्की के नेताओं के साथ बातचीत के दौरान पुतिन से रूसी रिपोर्टर से कहा कि हमारे साझेदारों ने जो गलती की है उसका ठीकरा वह रूस और गज़प्रोम पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. यूरोप का कदम क्या होगा? यूरोपियन संघ ज्यादा महंगी तरल प्राकृतिक गैस या एलएनजी की ओर रुख कर सकता है जो जहाज के जरिए अमेरिका या क़तर जैसी जगह से आती है. जर्मनी अपने उत्तरी समुद्री पोर्ट पर बहुत तेजी के साथ एलएनजी आयात टर्मिनल का निर्माण कर रहा है, लेकिन इसमें फिर भी सालों लगेंगे. चार तैरने वाले रिसेप्शन टर्मिनल में से एक इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा. लेकिन एलएनजी अकेले इस अंतर को भर नहीं सकती है. दुनिया की एलएनजी निर्यात सुविधाएं पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं लेकिन फिर भी बाजार में तंगी है और अब और ज्यादा गैस भी नहीं है. टेक्सास, फ्रीपोर्ट् में अमेरिकी टर्मिनल जिससे ज्यादातर गैस यूरोप भेजी जाती है, उसमें हुए विस्फोट से यूरोप की आपूर्ति का 2.5 फीसद रातों रात ऑफलाइन हो गया है. ऐसे में संरक्षण और अन्य ऊर्जा स्रोत अहम हैं. मसलन जर्मनी लंबे वक्त से कोयले का प्लांट चला रहा है. संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए एक गैस नीलामी प्रणाली बना रहा है और सार्वजनिक इमारतों में थर्मोस्टेट को रीसेट कर रहा है. यूरोपियन संघ ने बुधवार को अपने सदस्य राज्यों से स्वेच्छा से आने वाले महीने में गैस के इस्तेमाल में 15 फीसद कटौती करने की अपील की है. वहीं यूरोपियन आयोग, जो यूरोपियन संघ की कार्यकारी शाखा है, उसने गैस की असाधारण मांग या भीषण कमी होने पर अनिवार्य कटौती करने की मांग की है. यूरोपियन संघ के सदस्य राज्यों के ऊर्जा मंत्री अगले मंगलवार को इस मुद्दे पर आपातकालीन बैठक में चर्चा करेंगे. इसके अलावा देश वैकल्पिक ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं. इटली, फ्रांस और यूरोपीय संघ के नेताओं ने इस हफ्ते अल्जीरिया, अजरबैजान और संयुक्त अरब अमीरात में अपने समकक्षों के साथ सौदे किए हैं. क्या यह सर्दी यूरोप पर पड़ेगी भारी ऐसा होने की संभावना काफी कम है क्योंकि सरकार घरों, स्कूलों और अस्पतालों से पहले व्यापार पर कटौती लागू करेगी. जर्मन सरकार गैस आपूर्तिकर्ताओं को तुरंत उपभोक्ताओं को गैस आपूर्ति बढ़ाने की अनुमति दे सकती है. अगर नोर्ड स्ट्रीम 1 घटे स्तर पर भी चालू हो जाती है तो यूरोप को सर्दियों तक अपने भंडारण को भरने के लिए 12 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस बचाने की जरूरत होगी, जो 120 एलएनजी टैंकर के बराबर होगी. आईईए ने यूरोपियन देशों से अनुशंसा की है कि गैस की बचत को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाएं, और आपातकाल में गैस साझा करने की योजना बनाए. पूरी तरह से गैस बंद होने का मतलब है कि ज्यादा संरक्षण की ज़रूरत होगी और वक्त बहुत कम है. Tags: Europe, Russia, Vladimir Putin FIRST PUBLISHED : July 22, 2022, 05:00 IST फोटो और देखें राशिभविष्य मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु मकर कुंभ मीन prevnext प्रश्न पूछ सकते हैं या अपनी कुंडली बनवा सकते हैं । और भी पढ़ें 0 अगली ख़बर ट्रेंडिंग टॉपिक न्यूज18 हिंदी प्लसश्रीलंका संकटराष्ट्रपति चुनावCricket Newsमौसम का हालसोने के भावसरकारी नौकरीरूस-यूक्रेन संकटपेट्रोल-डीजल की महंगाईउद्धव ठाकरेराहुल गांधी सोशल मीडिया पीएम मोदीशरद पवारयोगी आदित्यनाथविराट कोहलीसुप्रीम कोर्टअक्षय कुमारआमिर खानअमिताभ बच्चनरोहित शर्माममता बनर्जीउद्धव ठाकरेश्रीलंकाराहुल गांधीअखिलेश यादवसलमान खान पॉपुलर कैटेगरी ताजा खबरें न्यूज18 हिंदी प्लस क्रिकेट बॉलीवुड अजब-गजब राशिफल करियर न्यूज18 हिंदी प्लस ताजा फोटो गैलरी बिजनेस वेब स्टोरीज मोबाइल-टेक पॉडकास्ट राजस्थान बिहार पंजाब मध्य प्रदेश झारखंड उत्तराखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र देश दुनिया प्रदेश लाइव टीवी न्यूज 18 इंडिया Language Sites Hindi NewsMarathi NewsGujarati NewsBengali NewsTamil NewsTelugu NewsKannada NewsMalayalam NewsPunjabi NewsUrdu NewsAssam NewsOdia News News18 Group TopperLearningCricketNextMoneycontrolFirstPostCompareIndiaCNBCTV18History IndiaMTV IndiaClear Study DoubtsEducation Franchisee OpportunityCAprep18 News18 Logo हमारे बारे मेंडिस्क्लेमरसंपर्क करेंफीडबैकSitemapComplaint RedressalAdvertise with UsPrivacy PolicyCookie Policy CNN name, logo and all associated elements ® and © 2020 Cable News Network LP, LLLP. 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Update: 2022-07-22 01:34 GMT

श्रीलंका में उथलपुथल के बीच नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. 73 वर्षीय विक्रमसिंघे ने गुरुवार को कोलंबो में संसद भवन परिसर में शपथ ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जयंत जयसूर्या ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. छह बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को एक दिन पहले ही राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित किया गया था. हालांकि इसका भी विरोध हुआ था क्योंकि सरकार विरोधी कई प्रदर्शनकारी उन्हें पूर्ववर्ती राजपक्षे शासन से जुड़ा हुआ मानते हैं.

श्रीलंका की संसद में 44 साल बाद सीक्रेट वोटिंग के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव किया गया था. 1978 के बाद ये पहला मौका रहा, जब देश में जनादेश के जरिए नहीं बल्कि सांसदों ने गुप्त मतदान के जरिए नए राष्ट्रपति को चुना. इस वोटिंग में बाजी रानिल विक्रमसिंघे के हाथ लगी. उनका मुकाबला दुल्लास अल्हाप्पेरुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके से था. पीटीआई के मुताबिक, 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में हुई वोटिंग में विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले, जबकि सत्तारूढ़ दल के असंतुष्ट नेता दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिल पाए. वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को महज 3 वोटों से संतोष करना पड़ा.

राजनीति में आने से पहले रानिल विक्रमसिंघे वकील थे. 1949 में जन्मे विक्रमसिंघे 1977 में 28 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे. वह श्रीलंका के पहले कार्यकारी राष्ट्रपति जूनियस जयवर्धने के भतीजे हैं. विक्रमसिंघे पिछले 45 साल से श्रीलंका की संसद में हैं. जयवर्धने की सरकार में जब विक्रमसिंघे ने उप विदेश मंत्री का पद संभाला था तो वह श्रीलंका के सबसे कम उम्र में मंत्री बनने वाले शख्स थे.

रानिल विक्रमसिंघे छह बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. पहली बार 1993-1994 में उन्हें प्रधानमंत्री पद तब मिला था, जब राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदास की हत्या कर दी गई थी. उसके बाद 2001 के आम चुनाव में यूनाइटेड नेशनल पार्टी की जीत बाद उन्होंने फिर से पीएम की कुर्सी संभाली और 2004 तक उस पर रहे. इसके बाद वह फिर से प्रधानमंत्री बने लेकिन अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने उन्हें बर्खास्त करके महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री बना दिया था. इससे श्रीलंका में संवैधानिक संकट पैदा हो गया. बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर राष्ट्रपति को विक्रमसिंघे को बहाल करना पड़ा.

श्रीलंका में ऐतिहासिक आर्थिक संकट के बीच इस साल मई में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को छठी बार प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. लेकिन 9 जुलाई को जब जनता का गुस्सा राष्ट्रपति भवन पर फूटा तो उसकी चपेट में विक्रमसिंघे भी आए थे. राष्ट्रपति भवन में धावा बोलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के घर को भी आग के हवाले कर दिया था.


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