ईरान की संसद में कट्टरपंथी पूर्व न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी ने देश के राष्ट्रपति पद की ली शपथ

ईरान की संसद में गुरुवार को कट्टरपंथी पूर्व न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी ने देश के राष्ट्रपति पद की शपथ ली है.

Update: 2021-08-05 15:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Ebrahim Raisi Iran Oath Ceremony: ईरान की संसद में गुरुवार को कट्टरपंथी पूर्व न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी ने देश के राष्ट्रपति पद की शपथ ली है. शपथ ग्रहण समारोह ऐसे वक्त पर हुआ है, जब ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों और डूबती अर्थव्यवस्था के बीच फंसा हुआ है. इसके अलावा देश में कोरोना वायरस के कारण बेहद बुरे हालात हैं और परमाणु समझौते पर बातचीत भी थम सी गई है. रईसी अब मंगलवार को आधिकारिक तौर पर अपने चार साल के कार्यकाल की शुरुआत करेंगे.

इब्राहिम रईसी को सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) का करीबी माना जाता है. वह अब हसन रूहानी की जगह ले रहे हैं, जिनके दो कार्यकाल के दौरान ही 2015 में ईरान और छह विश्व शक्तियों के बीच परमाणु समझौता हुआ था. रईसी की बात करें तो उन्होंने 18 जून को चुनाव में रिकॉर्ड वोट हासिल कर जीत हासिल की थी. जबकि राष्ट्रपति पद के कई अन्य उम्मीदवारों को चुनाव से पहले अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

ट्रंप के एक फैसले से बिगड़े हालात
इससे पहले सरकारी टीवी ने खबर दी थी कि शपथ समारोह के दौरान संसद के आसपास ट्रैफिक रोक दिया जाएगा और विमानों की उड़ान को ढाई घंटे के लिए निलंबित किया जाएगा (Ebrahim Raisi Iranian President). ऐसा तेहरान और उससे जुड़े अन्य इलाकों में किए जाने की जानकारी दी गई थी. ईरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले के बाद से आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहा है. ट्रंप ने 2018 में एकतरफा तरीके से अमेरिका को इस परमाणु समझौते से अलग कर लिया था. साथ ही ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे.
ईरान ने कई प्रतिबद्धताओं को नहीं माना
इसके जवाब में ईरान ने भी समझौते में की गई कई प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया. इस समझौते को जेसीपीओए यानी जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन नाम दिया गया (Iran Nuclear Deal). वहीं रईसी ने मंगलवार को कहा था, 'हम मानते हैं कि लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, हमारे दुश्मनों की दुश्मनी के कारण और देश के अंदर की कमियों और समस्याओं के कारण ऐसा हो रहा है.' बीते हफ्ते इजरायल के तेल टैंकर पर हुए घातक हमले के बाद ईरान को अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल सहित नाटो और यूरोपीय संघ की आलोचना का सामना भी करना पड़ा है.


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