बेहत खतरनाक है पुतिन की बाल सेना, 8 साल के बच्चे भी धड़ाधड़ चलाते हैं मशीन गन

पुतिन की बाल सेना

Update: 2022-03-07 05:17 GMT
Russian Young Army : यूक्रेन-रूस के बीच चल रही जंग (Russia Ukraine War News) को 11 दिन बीत चुके हैं. NATO में शामिल होने की ज़िद के चलते यूक्रेन के कई शहर रूस ने बर्बाद कर दिए हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के मुताबिक वे तब ही जंग बंद करेंगे, जब यूक्रेन उनकी शर्तें मान लेगा. इसी बीच रूस की बाल सेना (Russian Child Army) के बारे में भी खबरें पश्चिमी मीडिया में आ रही हैं, जिनके कारनामे सुनकर आप दंग रह जाएंगे.
Daily Star की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के पास सिर्फ मजबूत फ्रंटलाइन सेना ही नहीं है, बल्कि उनके देश में एक और खतरनाक आर्मी तैयार हो रही है. ये आर्मी बच्चों की है, लेकिन ये बच्चे ने सीधा मौत के दूत तैयार हो रहे हैं. यहां 8 साल की उम्र से ही उन्हें धड़ाधड़ मशीन गन चलाने और ग्रेनेड का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाती है.
बेहद खतरनाक है 'बाल सेना'
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यंग आर्मी (Russian Young Army) नाम की इस सेना में शामिल बच्चों की उम्र 8 से 18 साल तक होती है. इनकी उम्र भले ही छोटी हो, लेकिन कारनामे बेहद खतरनाक होते हैं. AK47 राइफल, मशीनगन, हैंडग्रेनेड जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करना इन्हें बखूबी आता है. ये ऐसी खतनाक ट्रेनिंग पा रहे हैं कि चुटकियों में किसी का भी काम तमाम कर सकते हैं. बताया जाता है कि रूसी बाल सेना को व्लादिमीर पुतिन ने ही साल 2015 में बनाया था. यंग आर्मी की स्थापना ही अमेरिका और पश्चिमी देशों से खतरे को देखने हुए हुई थी. इसका पूरा नाम All-Russia Young Army National Military Patriotic Social Movement Association है.
स्कूली लड़कियां भी आर्मी का हिस्सा
इस सेना में मुख्य रूप से स्कूली बच्चों को शामिल किया जाता है. जानकारी के मुताबिक बाल सेना में 10 लाख से ज्यादा बच्चे शामिल हैं. अपने देश के मर-मिटने वाली इस आर्मी में लड़के और लड़कियों की बराबर भागीदारी है और उन्हें समान तरीके की मिलिट्री ट्रेनिंग भी दी जाती है. रूस जहां इसे आत्मरक्षा का तरीका बताता है तो पश्चिमी देश इसे हिटलर यूथ कहकर सेना की आलोचना करते हैं. ये बच्चे हथियारों की देख-रेख, संचालन, कुश्ती और पैराशूट जंपिंग तक जानते हैं. इन बच्चों को विदेशी भाषाओं की भी ट्रेनिंग मिलती है.
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