पुतिन बेलारूस के तानाशाह अलेक्‍जेंडर लुकाशेंको को इस्‍कंदर एम परमाणु मिसाइल देने जा रहे, जानें क्‍यों दहशत में यूरोप

वहीं पुतिन के ऐलान से नाटो देशों की टेंशन बढ़ गई है।

Update: 2022-06-27 08:00 GMT

मास्‍को: रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन अपने दोस्‍त और बेलारूस के तानाशाह अलेक्‍जेंडर लुकाशेंको को इस्‍कंदर एम परमाणु मिसाइल देने जा रहे हैं। कम दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल यूक्रेन में इन दिनों तबाही मचा रही है। पुतिन ने बेलारूस की वायुसेना के सुखोई-25 विमानों को अपग्रेड करके परमाणु बम ले जाने में सक्षम बनाने का भी ऐलान किया है। रूसी राष्‍ट्रपति ने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब लुकाशेंको ने दावा किया था कि यूक्रेन युद्ध के बीच नाटो के परमाणु हथियारों से लैस फाइटर जेट बेलारूस की सीमा के पास उड़ान भर रहे हैं। उन्‍होंने दोस्‍त पुतिन से इसका जवाब देने के लिए मदद मांगी थी। आइए जानते हैं कि कितनी खतरनाक है रूस की इस्‍कंदर मिसाइल और क्‍यों नाटो के लिए संकट बन सकती है.....

पुतिन के इस ऐलान से अभी यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि परमाणु हथियारों का ट्रांसफर या कमांड कंट्रोल कैसे काम करेगा। बेलारूस सोवियत जमाने की एसएस-25 अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल को अपने पास रख चुका है। बेलारूस के पास सोवियत संघ के विघटन के दौरान परमाणु हथियार थे लेकिन उसने साल 1993 में इन महाविनाशक हथियारों को रूस को लौटा दिया था। यूक्रेन पर हमला करने के दौरान रूस ने अपने सैनिकों को बेलारूस में तैनात किया था और वहां से यूक्रेन पर हमला बोला था। यही नहीं बेलारूस की जमीन से रूसी सेना यूक्रेन पर इस्‍कंदर मिसाइल से हमले कर रही है। ऐसी आशंका है कि बेलारूस भी यूक्रेन युद्ध का हिस्‍सा बन सकता है। वह भी तब जब रूस बेलारूस को फिर से परमाणु हथियारों से लैस करने की योजना बना रहा है।
नाटो देशों के पास मिसाइलें तैनात करेगा बेलारूस


दरअसल, बेलारूस में घरेलू हिंसा को कुचलने में रूस ने तानाशाह लुकाशेंको की मदद की थी और इससे दोनों के बीच दोस्‍ती और ज्‍यादा मजबूत हो गई है। पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि कागज पर तो ये मिसाइलें बेलारूस की होंगी लेकिन असल में वे रूसी सेना की होंगी। इन मिसाइलों में रूसी परमाणु बम लगा होगा। ये परमाणु मिसाइलें बेलारूस से सटे नाटो देशों पोलैंड, ल‍िथुआनिया, लाटविया एस्‍टोनिया, हंगरी, स्‍लोवानिया और चेक रिपब्लिक के पास तैनात होंगी। पुतिन अगर बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करते हैं तो बाल्टिक देशों के साथ उनका तनाव बहुत ज्‍यादा बढ़ सकता है।
पुतिन ने इस्‍कंदर मिसाइल देने का ऐलान ऐसे समय पर किया है जब लिथुआनिया ने यूक्रेन प्रतिबंधों को देखते हुए रूस के रेल के जरिए उसके कालिनिनग्राड सैन्‍य अड्डे तक जाने वाले सामान को रोक दिया है। इससे अब रूस केवल पानी के जरिए ही वह भी हजारों किमी का सफर करके सामानों की आपूर्ति अपने सैन्‍य अड्डे को कर पा रहा है। लुकाशेंको ने लिथुआनिया के फैसले को 'युद्ध का ऐलान' करार दिया है। इस्‍कंदर एम मिसाइल को नाटो देश एसएस-26 के नाम से बुलाते हैं। इसके एक लांचर में दो मिसाइलें आती हैं। इसकी आधिकारिक रेंज करीब 500 किमी है लेकिन यह और ज्‍यादा दूरी तक मार कर सकती है।
जानें कितनी ताकतवर है इस्‍कंदर एम मिसाइल
इस्‍कंदर मिसाइल अपने साथ करीब 700 किलोग्राम विस्‍फोटक ले जा सकती है। इसमें क्‍लस्‍टर, बंकर तबाह करने वाले विस्‍फोटक और परमाणु बम शामिल हैं। यह मिसाइल नकली मोर्टार दाग‍ती है ताकि दुश्‍मन के रेडॉर और इंटरसेप्‍ट करने वाली मिसाइलों को भ्रमित किया जा सके। रूस ने इस मिसाइल का इस्‍तेमाल साल 2008 में जॉर्जिया और सीरिया की जंग में किया है। आर्मीनिया इस मिसाइल का एकमात्र ग्राहक है और उसने नगर्नो कराबाख की जंग में इसका इस्‍तेमाल किया था। बता दें कि रूस के परमाणु हथियारों से निपटने के लिए नाटो ने 6 देशों में 200 बी61 परमाणु बम तैनात कर रखे हैं। वहीं पुतिन के ऐलान से नाटो देशों की टेंशन बढ़ गई है।

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