PTM के संस्थापक और मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजूर अहमद पश्तीन के पाकिस्तान में आने पर लगाई रोक
पाकिस्तान में पश्तूनों की आबादी करीब तीन करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 15 फीसदी है।
पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट (पीटीएम) के संस्थापक और मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजूर अहमद पश्तीन के पीओके में आने पर रोक लगा दी गई है। पाक अधिकृत कश्मीर के गृह विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पश्तीन पर इलाके में किसी भी तरह का भाषण देने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
तीन महीने के लिए प्रतिबंध
पीओके के गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, 'सार्वजनिक व्यवस्था अधिनियम, 1985 की धारा 5 के तहत पश्तीन पर तत्काल प्रभाव से तीन महीनों के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।' गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कोटली में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तहरीक-ए-जवानन-कश्मीर नाम के एक अज्ञात संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने पीओके सरकार से पश्तीन के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
पीटीआई पर विपक्ष का निशाना
पश्तीन पर लगे इस प्रतिबंध को मुद्दा बनाते हुए पाकिस्तान की विपक्षी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने पीओके सरकार पर निशाना साधा है। पीओके के पूर्व सूचना मंत्री मुश्ताक मिन्हास ने ट्वीट किया कि, "हम कश्मीर में मंजूर पश्तीन के प्रवेश और भाषण पर प्रतिबंध लगाने के लिए पीटीआई सरकार की कड़ी निंदा करते हैं। अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना एक फासीवादी प्रथा है। मंजूर पश्तीन! हम शर्मसार हैं।"
प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना
एक रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने भी सोशल मीडिया पर बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी पर सरकार के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना की है। पीएमएल-एन कार्यकर्ता नसीरा खान सुधोजई ने कहा कि मंजूर पश्तीन लाखों लोगों की आवाज हैं। पीओके में उनके प्रवेश पर रोक लगाना एक तुगलकी फरमान है, हम इसका विरोध करते हैं।
कौन है मंजूर अहमद पश्तीन
पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट (पीटीएम) के संस्थापक और मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजूर अहमद पश्तीन एक 25 वर्षीय युवा है। वो एक प्राइमरी स्कूल के एक टीचर का बेटा है, जो पश्तून लोगों की समस्याओं को लगातार आवाज उठाता रहा है। पश्तूनों को पठान के रूप में भी जाना जाता है, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाला एक जातीय समूह है। पाकिस्तान में पश्तूनों की आबादी करीब तीन करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 15 फीसदी है।