पाकिस्तान के खिलाफ पेरिस में विरोध प्रदर्शन, 'ब्लैक लिस्ट' में डालने की मांग

इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' में डाला जा सकता है.

Update: 2022-02-20 09:09 GMT

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) के फ्रांस स्थित दफ्तर के बाहर शनिवार को भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था एफएटीएफ (FATF) से लोगों ने मांग की कि पाकिस्तान (Pakistan) को ब्लैक लिस्ट में डाला जाए. इन प्रदर्शनकारियों में अफगान, बलोच और उइगर समुदाय के लोग शामिल थे. ये एफएटीएफ के दफ्तर ये याद दिलाने के लिए पहुंचे कि आतंकवाद को फैलाने में पाकिस्तानी कितनी बड़ी भूमिका निभा रहा है.

इस प्रदर्शन से जुड़ा एक वीडियो पाकिस्तानी पत्रकार ताहा सिद्दिकी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है. जिसमें लोग पाकिस्तान के खिलाफ प्लेकार्ड लेकर खड़े दिखाई दे रहे हैं. पेरिस में एफएटीएफ प्लेनरी और वर्किंग ग्रुप की बैठक से पहले विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान ने दी गई शर्तों को पूरा नहीं किया है. ऐसे में पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद रोधी और मनी-लॉन्ड्रिंग रोधी संस्था यानी एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है.
पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन


2018 से ग्रे लिस्ट में है पाकिस्तान
पाकिस्तान जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे सूची में है. इस ग्रे लिस्टिंग ने इसके आयात, निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय ऋण तक सीमित पहुंच बनाकर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद से इमरान खान लगातार बोल रहे हैं कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किया जाना चाहिए. जबकि उन्होंने एफएटीएफ की शर्तों को पूरा ही नहीं किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है. उसने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सामने भी घुटने टेक दिए.
अर्थव्यवस्था को लगेगा बड़ा झटका
पाकिस्तान सरकार अफगान तालिबान टीएलपी के साथ भी बातचीत करने के लिए तैयार है, जैसे वो कोई आतंकी संगठन ही नहीं है. एक मीडिया रिपोर्ट में पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉक्टर नाफे सरदार के हवाले से कहा गया है, 'अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' में डालता है, तो आर्थिक तौर पर सजा और अन्य प्रतिबंधात्मक उपाय अपनाए जाएंगे. यह पाकिस्तान की तंगी झेल रही अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा. जिसकी अर्थव्यवस्था में एफएटीएप की ग्रे-लिस्टिंग के कारण 2008-2019 के दौरान लगभग 38 बिलियन डॉलर की गिरावट देखी गई है.' ग्लोबल सेट्रैट व्यू के मुताबिक, इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' में डाला जा सकता है.

Tags:    

Similar News

-->