प्रदर्शनकारियों ने अब संसद भवन पर धावा बोला, सेना प्रदर्शनकारियों को रोकने के प्रयास में जुटी

प्रदर्शनकारियों

Update: 2022-07-14 10:17 GMT

जनता से रिश्ता वेब डेस्क। श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. आर्थिक संकट को लेकर सरकार का विरोध और उग्र हो चुका है. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के सरकारी आवास और कार्यालय पर कब्जा करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने देश के संसद भवन की ओर रुख कर लिया है. संसद भवन पर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे हुए हैं. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना को तैनात किया गया है. सेना और पुलिस का प्रदर्शनकारियों को रोकने का संयुक्त अभियान ढीला पड़ता दिखाई दे रहा है.

श्रीलंका में उग्र होते जा रहे प्रदर्शनकारी श्रीलंका में विरोध बढ़ने के बाद संसद अध्यक्ष ने कहा था कि गोटाबाया राजपक्षे बुधवार को औपचारिक रूप से अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन उनके देश छोड़कर भाग जाने पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन के बाद विक्रमसिंघे के कार्यालय पर धावा बोल दिया. राजपक्षे ने बुधवार को उनकी अनुपस्थिति में विक्रमसिंघे को कार्यवाहक अध्यक्ष नामित किया था.३ 

क्या हुआ श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को? श्रीलंका का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्र पहली बार 2019 में तब प्रभावित हुआ था जब वहां के चर्च और होटलों पर इस्लामी चरमपंथियों ने हमला किया था. इसके बाद कोरोना महामारी ने श्रीलंका के पर्यटन क्षेत्र को तगड़ झटका दिया था. सरकारी कर कटौती से इसके खजाने में और कमी आई. श्रीलंका में दवाओं से लेकर खाने और ईंधन तक सब कुछ आयात करने के लिए आवश्यक विदेशी मुद्रा शून्य हो गई.

कैसे प्रभावित हुई श्रीलंका की जनता? श्रीलंकाई लोगों ने महीनों तक दवा और खाने की कमी और ब्लैकआउट का सामना किया. जबकि रूस और अन्य लोगों से रियायती तेल के लिए अनुरोध के बावजूद ईंधन स्टेशनों में पेट्रोल और डीजल नदारद हो गए. जिसका नतीजा यह हुआ कि श्रीलंका में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई. महंगाई के मामले में श्रीलंका जिम्बाब्वे के बाद दूसरे स्थान पर है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि श्रीलंका एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक खाने की कमी के कारण तीन-चौथाई से अधिक श्रीलंका की आबादी ने अपने खुराक में कटौती कर दी थी.


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