श्रीलंका में कम होंगे राष्ट्रपति के अधिकार! कैबिनेट ने संविधान में 21वें संशोधन को किया पारित

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Update: 2022-06-20 14:55 GMT
ऐतिहासिक आर्थिक संकट का सामना कर रहे द्वीप राष्ट्र श्रीलंका में सोमवार को कैबिनेट ने संविधान में 21वां संशोधन को पारित कर दिया। इस संसोधन का उद्देश्य संसद को कार्यकारी अध्यक्ष से ज्यादा अधिकार देना है। कैबिनेट के एक वरिष्ठ मंत्री ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट द्वारा पारित करने के बाद अब इसे संसद में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट ने पारित किया संविधान में 21वां संसोधन
पर्यटन और भूमि मंत्री हरिन फर्नांडो ने इसे लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि 21वें संशोधन को आज कैबिनेट में पेश किया गया और पारित किया गया। जल्द ही इसे संसद में पेश किया जाएगा। कैबिनेट 21वें संशोधन के जरिए 20वें संसोधन को रद्द करना चाहती है। 20वां संसोधन संसद को मजबूत करने वाले 19वें संशोधन को समाप्त करने और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को असीमीत अधिकार दिए है। 21वें संसोधन का उद्देश्य अन्य सुधारों के अलावा, दोहरे नागरिकों को सार्वजनिक पद धारण करने के लिए चुनाव लड़ने से रोकना है। 21वें संसोधन के तहत राष्ट्रपति को संसद के प्रति जवाबदेह ठहराया जाएगा। वर्तमान में मंत्रियों का मंत्रिमंडल, राष्ट्रीय परिषद के अलावा पंद्रह समितियां और निरीक्षण समितियां संसद के प्रति जवाबदेह हैं।
गौरतलब है कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी (एसएलपीपी) का एक मौजूदा आर्थिक संकट को खत्म किए बिना 21वें संसोधन का विरोध कर रहा था। हाल ही में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संविधान में 21वें संशोधन की वकालत करते हुए कहा था कि यह राष्ट्रपति की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाएगा और देश पर शासन करने में संसद की भूमिका को बढ़ाएगा।
बेहद खराब हालात का सामना कर रहा है श्रीलंका
गौरतलब है कि 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से अब तक श्रीलंका इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका में बीते कुछ ही महीनों में आर्थिक संकट ने इस कदर विकराल रूप धारण कर लिया कि देश की जनता त्राहि-त्राहि करने लगी। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है जिसके चलते जरूरी सामानों का आयात करने में भी श्रीलंका सक्षम नहीं है। गौरतलब है कि देश अपनी जरूरत ज्यादातर चीजें आयात करता है। इसमें दवा से लेकर तेल तक सब शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के कुल आयात में पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी पिछले साल दिसंबर में 20 फीसदी थी। लेकिन, विदेश मुद्रा भंडार में आई कमी के चलते श्रीलंका की सरकार ईंधन समेत जरूरी चीजों का आयात करने में विफल हो रही है। इससे देश में जरूरी सामनों की किल्लत होती जा रही है और इनके दाम दिन-ब-दिन आसमान छूते जा रहे हैं।
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