श्रीलंका में कम होंगे राष्ट्रपति के अधिकार! संसद को सशक्त बनाने वाले 21वें संशोधन को मंजूरी दी

उन्हें राष्ट्रपति की शक्ति बहाल करने और प्रमुख पदों पर परिवार के सदस्यों को काबिज करने के लिए संविधान में संशोधन का मौका मिल गया था।

Update: 2022-06-20 18:27 GMT

श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने कार्यकारी राष्ट्रपति पर संसद को अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से लाए जाने वाले 21वें संविधान संशोधन को सोमवार को हरी झंडी दे दी। एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। 19वें संशोधन को समाप्त करने के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को एकछत्र अधिकार प्रदान करने वाले संविधान के 20ए को 21वें संशोधन से निष्प्रभावी किया जाएगा। इससे संसद को मजबूती मिलेगी।

पर्यटन एवं भूमि मंत्री हरिन फेर्नाडो ने ट्वीट किया है, '21वां संशोधन सोमवार को मंत्रिमंडल में पेश और पारित किया गया। जल्दी ही श्रीलंकाई संसद में पेश किया जाएगा। विजेराजपक्षे को इसे आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा।'
अन्य सुधारों के अलावा 21वें संशोधन का उद्देश्य दोहरी नागरिकता वाले लोगों को सार्वजनिक पद हासिल करने के लिए चुनाव लड़ने से रोकना है। सत्ताधारी श्रीलंका पोदुजना पेरामुना पार्टी का एक गुट वर्तमान आर्थिक संकट का समाधान किए बगैर 21वां संशोधन लाने के खिलाफ है।
अब इसे कानूनी ड्राफ्टमैन के पास भेजा जाएगा
संविधान मामलों के मंत्री विजेदास राजपक्षे ने कहा, 'सोमवार को मंत्रिमंडल ने 21वें संशोधन को मंजूरी दे दी। यह मसौदा है जिसपर मैंने सभी राजनीतिक पार्टियों एवं अन्य संगठनों से चर्चा की है। अब इसे कानूनी ड्राफ्टमैन के पास भेजा जाएगा।'
पीएम ने संविधान के 21वें संशोधन का पुरजोर किया समर्थन
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संविधान के 21वें संशोधन का पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्रपति की असीमित शक्ति पर लगाम लगेगी और कर्ज से दबे देश पर शासन करने में संसद की भूमिका बढ़ेगी। आर्थिक संकट के कारण देश को अप्रत्याशित राजनीतिक तूफान का भी सामना करना पड़ रहा है।

अगस्त 2020 में हुए आम चुनाव में अजेय बहुमत मिलने के बाद शक्तिशाली राजपक्षे परिवार ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। उन्हें राष्ट्रपति की शक्ति बहाल करने और प्रमुख पदों पर परिवार के सदस्यों को काबिज करने के लिए संविधान में संशोधन का मौका मिल गया था।


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