उज्बेकिस्तान में अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव, ECI के प्रतिनिधियों को कार्यवाही का निरीक्षण करने के लिए किया आमंत्रित
व्यावहारिक विदेश नीति, संस्कृति का विकास और आध्यात्मिकता को बढ़ाना जैसे मुख्य मुद्दे शामिल हैं।
उज्बेकिस्तान में अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इसके लिए देश की सरकार ने भारतीय निर्वाचन आयोग (इसीआइ) के प्रतिनिधियों को चुनाव की कार्यवाही का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया है। उज्बेकिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव 24 अक्टूबर को होना है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत दिलशोद अखतोव ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की है।
उन्होंने एएनआइ को बताया, '15 सितंबर को लोकतांत्रिक संस्थानों और मानवाधिकारों के ओएससीइ कार्यालय ने उज्बेकिस्तान में 24 अक्टूबर को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक चुनाव अवलोकन मिशन शुरू किया है। इसके अलावा, भारत समेत विभिन्न देशों के कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक आगामी चुनावों में हिस्सा लेंगे। हम विशेष रूप से भारत के चुनाव आयोग से प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं।'
उज्बेकिस्तान में 20 सितंबर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार शुरू हो गया है। 14 सितंबर को देश के इलेक्शन कमीशन (सीइसी) ने आगामी चुनावों को लेकर पांच कैंडिडेट्स का रजिस्ट्रेशन किया था। वहीं, उज्बेकिस्तान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस महीने की शुरुआत में ही वर्तमान राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव को फिर से उम्मीदवार बनाया है।
अन्य राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में एडोलाट (जस्टिस) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के बखरोम अब्दुखलीमोव, मिलि तिक्लानिश (राष्ट्रीय पुनरुद्धार) के अलीशेर कादिरोव और इकोलाजिकल दलों से नारजुलो ओब्लोमुराडोव शामिल हैं। एकमात्र महिला उम्मीदवार मक्सुदा वरिसोवा, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से मैदान में हैं। राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव इस समय अपने चुनाव प्रचार के लिए नमनगन, अंदिजान और फरगना क्षेत्रों के विभिन्न स्थानों के दौरे पर हैं।
वर्तमान राष्ट्रपति के चुनाव कार्यक्रम में दस मुद्दों पर खास ध्यान है। दिल्ली में उज्बेकिस्तान के दूतावास ने बताया कि इनमें विज्ञान और नवाचार के आधार पर एक नई अर्थव्यवस्था के निर्माण के मुद्दों को शामिल करना, सक्रिय उद्यमशीलता और लक्षित वित्तीय सहायता के माध्यम से गरीबी को कम करना, कृषि में दक्षता बढ़ाना, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करना, क्षेत्रों का संतुलित विकास, जन-केंद्रित सरकार का गठन, न्याय और कानून का शासन सुनिश्चित करना, लागू करना एक खुली और व्यावहारिक विदेश नीति, संस्कृति का विकास और आध्यात्मिकता को बढ़ाना जैसे मुख्य मुद्दे शामिल हैं।