राष्ट्रपति चुनाव: फेसबुक और ट्विटर के CEO ने दी अमेरिकी संसद में गवाही, जानें पूरा मामला

फेसबुक और ट्विटर के सी ई ओ ने मंगलवार को संसद की एक शक्तिशाली सीनेट ज्यूडीशियरी समिति के समक्ष गवाही दी।

Update: 2020-11-18 15:48 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने मंगलवार को संसद की एक शक्तिशाली सीनेट ज्यूडीशियरी समिति के समक्ष गवाही दी। इस दौरान दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में फेक न्यूज को रोकने के अपने प्रयासों का बचाव किया।

जुकरबर्ग ने सांसदों से कहा- सोशल मीडिया ने निष्पक्ष चुनाव के लिए किया सबसे बड़ा प्रयास

फेसबुक के सीईओ और संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने मंगलवार को सांसदों से कहा कि तीन नवंबर के चुनाव से पहले सोशल मीडिया कंपनी ने निष्पक्ष चुनाव के लिए सबसे बड़ा प्रयास किया। उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर मेरा मानना है कि यह हाल के वक्त मे किसी निजी कंपनी द्वारा उठाया गया यह सबसे बड़ा कदम था। इसी तरह के कदम की लोग हमसे आशा करते थे।'

जुकरबर्ग ने कहा- सोशल मीडिया को प्रत्येक चुनाव के साथ और सुधार लाना होगा

उन्होंने कहा, 'हमने अब तक जो देखा, उससे मुझे प्रसन्नता है। हमारी कंपनी ने अच्छा काम किया, लेकिन चुनाव में हस्तक्षेप का खतरा हमेशा बना रहेगा। इसे पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता है। हमें अपने काम में प्रत्येक चुनाव के साथ और सुधार लाना होगा।' संसद के समक्ष अपनी गवाही में जुकरबर्ग ने उन कदमों की जानकारी दी जो उनकी कंपनी ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उठाए थे।

ट्विटर के सीईओ डोरसी ने कहा- गलत सूचना ज्यादा प्रत्यक्ष हो सके वैसा ही किया

फार्मा कंपनी फाइजर इंक की कोरोना वैक्‍सीन के सांकेतिक फोटो।

 

वहीं ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी ने समिति के समक्ष अपने बयान में कहा, 'एक वर्ष से भी ज्यादा समय पहले लोगों ने हमसे कहा गया था कि हम अतिरिक्त संदर्भ उपलब्ध कराएं ताकि संभावित गलत सूचना ज्यादा प्रत्यक्ष हो सके। हमने ठीक वैसा ही किया। 27 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच तीन लाख से अधिक ट्वीट को चिह्नित किया गया। यह संख्या अमेरिकी चुनाव से जुड़े ट्वीट का 2.2 फीसद है। उन्होंने कहा कि वह इन बदलावों के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं।


फेसबुक और ट्विटर के सीईओ ने बदलावों का किया विरोध

फेसबुक और ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने ऐसे किसी भी बदलाव का विरोध किया है, जिससे अमेरिकी सरकार को कंटेंट को निर्देशित करने का अधिकार मिल जाए। दोनों कंपनियों ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक नई इंडस्ट्री है इसके लिए एक अलग नियामक (रेगुलेटरी) मॉडल होना चाहिए। संसद में गवाही के दौरान दोनों कंपनियों के सीईओ और सांसद 1996 के कम्यूनिकेशन डिसेंसी एक्ट की विवादित धारा 230 में आवश्यक संशोधन पर सहमत दिखे।

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