राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत को बताया सबसे अच्छा पड़ोसी देश, तारीफ भी की
श्रीलंका और भारत के रिश्ते कई दशक पुराने हैं. सांस्कृतिक से लेकर आर्थिक मोर्चे तक पर दोनों देशों के बीच कई समझौते हैं. भारत कई सालों से श्रीलंका के साथ अपनी दोस्ती निभा रहा है, फिर चाहे आर्थिक संकट के दौरान जरूरी वस्तुएं देने की बात रही हो या फिर हाल ही में डोर्नियर 228 समुद्री निगरानी विमान देने का वादा पूरा करना रहा हो. लेकिन श्रीलंका की तरफ से वो दोस्ती देखने को नहीं मिल रही है. कभी चीन के जहाज को श्रीलंका में एंट्री मिल जाती है, कभी पाकिस्तान के शिप को आने की हरी झंडी दिखा दी जाती है. ये सब भी तब होता है जब भारत कड़ी आपत्ति जाहिर कर देता है, अपनी सुरक्षा को खतरा बताता है.
लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी भारत, श्रीलंका का साथ नहीं छोड़ रहा है, उसकी हर जरूरत का ख्याल रखा जा रहा है. ऐसी ही उसकी एक जरूरत थी डोर्नियर 228 समुद्री निगरानी विमान की जो भारत ने 15 अगस्त को पूरी कर दी. उस मांग के पूरा होते ही श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के सुर बदल गए हैं. अब वे भारत की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं, सबसे अच्छा पड़ोसी बता रहे हैं. जारी बयान के मुताबिक रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि मैंने हमेशा से ये माना है कि भारत और श्रीलंका एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इतिहास ने हमे साथ जोड़ रखा है. क्या है ये रिश्ता, इसे एक शब्द में बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन मैं मानता हूं कि ये दोनों देशों के बीच सहजीवी संबंध है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अपने भाषण में युवाओं को भी खास संदेश दिया. उन्होंने कहा कि जो भी युवा श्रीलंका की राजनीति में आना चाहते हैं, जो नेता बनने के सपने देख रहे हैं, उन्हें सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि अपने भारत के साथियों से संबंध बनाइए, उनसे बात कीजिए. अगर आप भारतीयों से बात नहीं करेंगे, तो आने वाले समय में कई मुद्दों को समझना आपके लिए चुनौती बन जाएगा. ये समझने की जरूरत है कि भारत और श्रीलंका के मुद्दे समान हैं, वैसे भी भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है, इसलिए बातचीत करना जरूरी है.
संबोधन के दौरान रानिल विक्रमसिंघे ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत अब दुनिया का एक ताकतवर देश बनकर उभर रहा है, उसे अपने विकास के साथ-साथ दुनिया को भी दिशा दिखानी चाहिए. वैसे भारत तो दोस्ती की दिशा में ठीक तरीके से बढ़ रहा है, लेकिन श्रीलंका की तरफ से कई मौकों पर धोखा मिल रहा है. इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब भारत की तमाम आपत्तियों के बावजूद भी चीन के जासूसी जहाज युआन वांग 5 को श्रीलंका में एंट्री की मंजूरी दे दी गई. इससे पहले भी कई मौकों पर श्रीलंका, चीन के प्रति ऐसे ही दोस्ती दिखा चुका है, लेकिन भारत को लेकर उसका रुख अनिश्चिताओं से भरा है. भविष्य में इसमें कितना बदलाव आता है, इस पर सभी की नजर रहेगी.