राष्ट्रपति जो बाइडन ने 'आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन' कार्यक्रम में शिरकत की, शीर्ष नेताओं ने भी लिया भाग
ताकि सभी देशों के बीच अधिक समन्वय का व्यापक लक्ष्य बने और आपूर्ति श्रृंखला अधिक लचीली बनाई जा सके।
इटली की राजधानी रोम में दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में विश्वभर के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और पीएम मोदी समेत कई वैश्विक नेताओं ने 'आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन' (Supply Chain Resilience) कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान जो बाइडन ने कहा, 'मैंने लालफीताशाही को कम करके अमेरिकी भागीदारों के साथ-साथ बंदरगाह की भीड़ को कम करने में मदद करने के लिए अतिरिक्त धन का आवंटन कर रहा हूं। मैं प्रोसेसिंग टाइम भी कम कर रहा हूं, ताकि जहाज हमारे बंदरगाहों से तेजी से अंदर और बाहर आ सकें।'
इस कार्यक्रम में उन्होंने आगे कहा कि मैं आप सभी से अपने देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भंडार को बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह करता हूं। आज इतनी सारी चुनौतियों की तरह यह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसे हमारा कोई भी राष्ट्र एकतरफा कार्रवाई से हल कर सकता है। यह हम सभी के लिए एक समन्वय की कुंजी है।
साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी आपूर्ति श्रृंखला को विविधतापूर्ण बनाया जाना चाहिए ताकि हम किसी एक स्रोत पर निर्भर न रहें जो विफलता का कारण बन सकता है। यह साइबर अपराधों सहित प्राकृतिक और मानव निर्मित खतरों से सुरक्षित होना चाहिए।
मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रंखला की चुनौतियों का सामना कर रही बाइडन सरकार
बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान अमेरिकी रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडन के आर्थिक नेतृत्व की आलोचना में मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों के खतरे का हवाला दिया है।
इसीलिए रविवार को हुई बैठक में राष्ट्रपति बाइडन ने इस बात पर चर्चा करने की योजना बनाई कि प्रत्येक देश कैसे बाधाओं की पहचान और समाधान कर सकते हैं। ताकि सभी देशों के बीच अधिक समन्वय का व्यापक लक्ष्य बने और आपूर्ति श्रृंखला अधिक लचीली बनाई जा सके।