LAC पर मेगा प्लान की तैयारी, चीन की हरकत पर रहेगी नजर

Update: 2022-08-06 07:07 GMT

LAC के नज़दीक सैकड़ो की संख्या में गांव हैं जहां कोई नहीं रहता है. इन गांवों को जीवंत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक मेगा प्लान तैयार किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत चीन सीमा के नज़दीक ऐसे 500 से 600 गांव हैं जहां कोई नही रहता है. इन गांवो में साल में सिर्फ एक बार अपने कुल देवता की पूजा करने के लिए यहाँ के ग्रामवासी जाते हैं. पर अब ये गांव जी उठेंगे. केंद्र सरकार इन गांवों को वाईब्रेंट विलेज बनाने के लिए कई राउंड की बैठक कर चुकी है. साथ ही इस साल के बजट में भी इन गांव को वाईब्रेंट विलेज बनाने के लिए भारी भरकम बजट की घोषणा भी की जा चुकी है.

सूत्रों ने बताया है कि चीन सीमा से लगने वाले इन घोस्ट विलेज में वो सारी सुविधाएं होंगी जो शहर के घरों में रहती हैं, साथ ही यहां रहने वालों को यहीं आसपास नौकरियां दी जाएंगी, जिससे इनका पलायन न हो. जानकारी के मुताबिक चीन सीमा से लगने वाले करीब 100 गांवों को वाईब्रेंट विलेज बनाने का मेगा प्लान है. यही नही उत्तराखंड के बॉर्डर के नज़दीक 115 से ज्यादा विलेज को आधुनिक गांव बनाना है. उत्तराखंड में तो कुछ जगहों पर जैसे, जाडुंग, नेलांग और मलारी में वाईब्रेंट विलेज़ के प्रोजेक्ट के तहत शुरुआती रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है. सरकार के सूत्रों ने बताया है कि भारत चीन सीमा के नज़दीक हिमाचल के करीब 80 गांवो को वाईब्रेंट विलेज़ के तहत डेवेलप करना है. इसके साथ ही सिक्किम बॉर्डर के 50 तो अरुणाचल बॉर्डर से नज़दीक 80 से 120 गांव जो घोस्ट विलेज बन चुके थे उनको विकसित किया जाएगा.

समय समय पर ऐसी खुफिया रिपोर्ट और सेटेलाइट इमेज आती रहती हैं कि चीन ने बॉर्डर एरिया पर अपने इलाके में नए नए गांव बसाए हैं. और चीन इन गांवो का इस्तेमाल बॉर्डर पर निगरानी करने और लोगो पर नज़र रखने के लिए कर सकता है. सूत्रों ने बताया है कि चीन के इस प्लान को जवाब देने के लिए हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने भी मेगा प्लान तैयार किया है और इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का ऐलान किया है.

योजना का उद्देश्य उत्तरी भारत के सीमा पर बसे गांवों का विकास करना है. वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा था कि बेहद कम आबादी वाले बॉर्डर के गांव सीमित संपर्क और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से विकास से दूर रह जाते हैं. उत्तरी सीमा पर बसे ऐसे गांवों को नए वाइब्रेंट गांव कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाएगा. साफ है कि वित्त मंत्री का लद्धाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से सटे गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कर इन क्षेत्रों से पलायन को रोकना है. सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत चीन सरहद के नज़दीक बनाये जाने वाले इन गांवों के लोगों को गांव के नज़दीक एम्प्लॉयमेंट और वो तमाम सुविधाओं से लैस किया जाएगा जिससे रोजगार की तलाश में ये लोग बाहर न जाएं.

सीमा पर बसे हुए लोग और गांव देश के लिए स्ट्रैटिजिक एसेट्स हैं. तत्कालीन गृह मंत्री और अब के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई भाषणों में इस बात पर जोर देते रहे हैं. और उन गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते वहां से जो रहे पलायन को रोकने की कवायद भी लगातार करते रहे हैं. सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या इन इलाकों से लोगों का पलायन है. क्योंकि पलायन होने से न केवल गांव खाली हो जाते हैं, बल्कि सेना को भी कई चुनौती का सामना करना पड़ता है. इन इलाकों में आबादी का होना काफी अहम है. क्योंकि स्थानीय लोग न केवल सीमा पार की गतिविधियों पर नजर रखते हैं बल्कि कई अहम जानकारियां भी सेना को मुहैया कराते हैं.

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