RCEP पर दस्तखत होने की तैयारी लगभग पूरी, भारत का और इंतजार नहीं

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक सहयोग भागीदारी (आरसीईपी) पर अगले रविवार को दस्तखत होने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है।

Update: 2020-11-10 11:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक| क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक सहयोग भागीदारी (आरसीईपी) पर अगले रविवार को दस्तखत होने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। जापान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक भारत का लंबा इंतजार करने के बाद आखिरकार इस करार में शामिल बाकी सदस्य देशों में ये सहमति बन गई है कि अब ज्यादा वक्त प्रतीक्षा करने का कोई मतलब नहीं है। भारत ने पिछले साल आखिरी वक्त पर इस करार में शामिल होने से इंकार कर दिया था।

भारत की शिकायत थी कि इस डील के कारण ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से दूध से बने सामानों से भारतीय बाजार पट जाएगा, जिससे किसानों को नुकसान होगा। भारत की एक और चिंता चीन में बने सामानों के लिए भारतीय बाजार के दरवाजे का पूरी तरह खुल जाने को लेकर थी। उससे चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा और बढ़ जाता।

आरसीईपी करार में अभी भी लगभग उतने देश शामिल हो रहे हैं, जिनका सकल घरेलू उत्पाद पूरी दुनिया के जीडीपी के एक तिहाई के बराबर है। हालांकि 2013 से इस समझौते की पृष्ठभूमि बननी शुरू हुई थी, लेकिन डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद इस कोशिश में और तेजी आई। ट्रंप ने बराक ओबामा के दौर में होने जा रहे ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से अमेरिका को अलग कर लिया था।

अगर वह समझौता हो जाता, तो आसियान देशों के साथ के अमेरिका से मुक्त व्यापार का रास्ता खुल जाता। अमेरिका के कदम वापस खींच लेने के बाद चीन और आसियान देशों की पहल पर आरसीईपी की योजना पेश की गई। अब इस समझौते में आसियान (साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस) के दस देश, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हो रहे हैं।

इस समझौते को चीन की एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह पहला मौका होगा, जब जापान किसी ऐसे मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होगा, जिसमें चीन भी है। जापान का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी दक्षिण कोरिया भी इसमें शामिल हो रहा है। आसियान के सदस्य देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

आसियान देशों का 37वां शिखर सम्मेलन नौ नवंबर से शुरू हुआ है। इस वर्चुअल सम्मेलन के दौरान इस बार आसियान की अध्यक्षता वियतनाम को मिली है। इसी सम्मेलन का समापन 15 नवंबर को होगा, जिस रोज आरसीईपी पर भी दस्तखत किए जाएंगे। आसियान देशों ने कहा है कि भारत के इस समझौते में शामिल होने के लिए दरवाजे खुले हुए हैं। वह जब चाहे इसमें शामिल हो सकता है।

ये चीन की आर्थिक ताकत का ही उदाहरण है कि राजनीतिक और सामरिक मामलों में उसके साथ विवाद में उलझे ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, जापान, दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे देश भी वैसे मुक्त व्यापार समझौते में शामिल हो रहे हैं, जिसका सबसे ज्यादा लाभ चीन को मिल सकता है। चीन के लिए ये करार इसलिए भी अहम है, क्योंकि जिस समय अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश उससे नाता तोड़ने के दौर से गुजर रहे हैं, तब चीन को कारोबार करने के लिए 14 अन्य देशों का बाजार उपलब्ध हो जाएगा। 


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