जानवरों के लिए मसीहा बना पोलैंड का शख्स, युद्धग्रस्त यूक्रेन से कर रहा रेस्क्यू

इसके अलाबा उनके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है.

Update: 2022-03-22 07:43 GMT

रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद दोनों के बीच लगातार जंग (Russia Ukraine War) चल रही. रूस एक तरफ जहां राजधानी कीव (Kyiv) पर जल्द से जल्द कब्जा पाना चाहता है. वहीं, यूक्रेन को भी घुटने टेकना मंजूर नहीं है. ऐसे में युद्ध के 26 दिन पूरे हो गए हैं और मंगलवार को 27वां दिन है. ऐसे में सबसे ज्यादा खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है. लाखों लोग देश छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन दिक्कत जानवरों के लिए है. ऐसे में एक शख्स इन बेजुबानों के लिए मसीहा बनकर उभरा है.

जानवरों के लिए मुसीबत
रूस (Russia) की तरफ से यूक्रेन (Ukraine) पर लगातार हमले किए जा रहा है. इस युद्ध में अब तक कई लोग जान गवा चुके हैं. वहीं, लाखों लोग यूक्रेन (Ukraine) से पलायन कर गए हैं. ऐसे में इस युद्ध से सबसे ज्यादा मुसीबत जानवरों के लिए हो रही है. इंसान तो किसी तरह खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जानवरों की सुनने वाला कोई नहीं.
मसीहा बना शख्स
ऐसे में बेसहारा जानवर सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर हो रहे हैं और लगातार हमलों का शिकार हो रहे हैं. वहीं, अब एक 32 वर्षीय शख्स इन जानवरों के लिए मसीहा बना है. ये शख्स युद्धग्रस्त यूक्रेन (War-Torn Ukraine) से बेसहारा जानवरों को बाहर निकालने में जुटा हुआ है.
कई जानवरों की बचाई जान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस शख्स का नाम जाकुब कोटोविक्स (Jakub Kotovics) है. वह पोलैंड (Poland) का रहने वाला है. यह अपने देश से बॉर्डर पार कर यूक्रेन (Ukraine) जाता है और वहां से जानवरों को रेस्क्यू कर पोलैंड (Poland) ले आता है. जाकुब कोटोविक्स (Jakub Kotovics) पिछले 15 दिनों में अब तक 200 से ज्यादा बिल्लियों को और 60 डॉग्स को वहां से निकाल चुका है.
किराए पर ली कार
कोटोविक्स पेशे से पशु चिकित्सक हैं. उन्होंने जानवरों को बचाने के लिए 12 लाख रुपये में 2 कार किराए पर ली. जाकुब जब बिल्लियों को लेकर पोलैंड लौटे तो वह काफी दिन तक डर के साये में थीं. उनकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं बताई जा रही थी. हालांकि, उनके देखभाल की वजह से अब सभी जानवर शारीरिक और मानसिक रूप से ठी हो रहे हैं.
डोनेशन से करते हैं मदद
इस शख्स ने एक 2 महीने की पिगमाय बकरी को भी बचाया है, जिसे अब वो गोद लेने की सोच रहे हैं. जाकुब को इस नेक काम के लिए लोगों की तरफ से डोनेशन मिलता है. इसके अलाबा उनके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है.


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