यूक्रेन में स्थायी शांति के लिए बने पीएम मोदी, पोप और गुटेरस की समिति

यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मेक्सिको ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र युद्धरत दोनों देशों के नेताओं से वार्ता के लिए समिति गठित करे।

Update: 2022-09-24 02:04 GMT

यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मेक्सिको ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र युद्धरत दोनों देशों के नेताओं से वार्ता के लिए समिति गठित करे। इस समिति में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस हों। यह समिति यूक्रेन में स्थायी शांति के लिए रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति से वार्ता करे और पैदा हुए गतिरोधों को दूर करे।

मेक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो लुईस एब्रार्ड कासाउबोन ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर हुई चर्चा के दौरान यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, मेक्सिको मानता है कि जो स्थितियां बन गई हैं उनमें शांति स्थापित करने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावशाली उपाय किए जाने की जरूरत है। मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुएल लापेज ओब्रैडोर ने दुनिया के लिए इस प्रस्ताव के क्रियान्वयन को जरूरी माना है। मेक्सिको की ओर से यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी के समरकंद में रूसी राष्ट्रपति पुतिन से यह कहने के चंद रोज बाद आया है कि वर्तमान समय युद्ध करने का नहीं।

पीएम मोदी के इस बयान का अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों ने स्वागत किया है। अमेरिका के सहायक रक्षा मंत्री डा. एली रैटनर ने कहा है कि रूसी राष्ट्रपति से वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी का यूक्रेन युद्ध के संबंध में कथन प्रशंसा योग्य है। यूक्रेन में शांति की उनकी इच्छा का हम स्वागत करते हैं। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने मोदी के बयान सही और न्यायोचित बताया था। कहा था कि अमेरिका इस बयान का बहुत अधिक स्वागत करता है।

जपोरीजिया मामले में यूक्रेन ने भारत से मांगी मदद

न्यूयार्क में विदेश मंत्री एस जयशंकर की यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनीज शमीहाल से मुलाकात में जपोरीजिया परमाणु संयंत्र का मसला भी उठा। प्रधानमंत्री शमीहाल ने परमाणु संयंत्र को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए भारत की मदद मांगी है। यूक्रेन के इस संयंत्र पर मार्च से रूसी सेना ने कब्जा कर रखा है।

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