PM इमरान खान ने तालिबान के बचाव में दिया शर्मनाक बयान, कहा- लड़कियों को शिक्षा न...
एक बड़े संकट का सामना कर रही है।
अफगानिस्तान में मानवीय संकट पर चर्चा के लिए आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने तालिबान के बचाव में शर्मनाक बयान दिया है। इमरान ने तालिबान के लड़कियों को स्कूल नहीं जाने देने और महिलाओं के साथ भेदभाव को सांस्कृतिक संवेदनशीलता से जोड़ दिया। दरअसल, पाकिस्तान के तमाम प्रयासों के बाद भी पश्चिमी देश महिलाओं और लड़कियों को मानवाधिकार नहीं देने की वजह से अफगान सरकार को अब तक मान्यता नहीं दे रहे हैं।
इसी वजह से एक बार फिर से इमरान खान ने ओआईसी के मंच से तालिबानी आतंकियों का खुलकर बचाव किया है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के मामले में हर समाज की अलग-अलग सोच है। पाकिस्तान के पश्तून जो तालिबान के बेहद करीब हैं, वहां शहरों और गांव में अलग-अलग संस्कृति है। उसी तरह से अफगानिस्तान में भी है। हम पेशावर में लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए मां-बाप को आर्थिक सहायता देते हैं।
इमरान खान ने तालिबान की मदद के लिए धर्म की भी दुहाई दी
इमरान खान ने कहा, 'शहर की संस्कृति गांवों की संस्कृति से पूरी तरह से अलग है। अगर हम सांस्कृतिक मानकों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं तो अफगानिस्तान की सीमा पर हम मां-बाप को चाहे दोगुना पैसा दे दें, वे अपनी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजेंगे। हमें मानवाधिकारों और महिला अधिकारों को लेकर संवेदनशील होना होगा।' इस्लामिक देशों की इस बैठक में इमरान खान ने तालिबान की मदद के लिए धर्म की भी दुहाई दी।
पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि अगर दुनिया ने हस्तक्षेप नहीं किया तो अफगानिस्तान में इंसानों की ओर से बनाया गया सबसे बड़ा संकट पैदा होगा। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की मदद करना हमारी धार्मिक जिम्मेदारी है। बता दें कि अफगानिस्तान में मानवीय संकट पर चर्चा के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के मंत्रियों की परिषद का 17वां विशेष सत्र रविवार को इस्लामाबाद में शुरू हुआ है। बैठक में मुस्लिम देशों के प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हो रहे हैं।
बैठक में 20 विदेश मंत्री और 10 उप विदेश मंत्री शामिल
सऊदी अरब के प्रस्ताव पर यह बैठक बुलाई गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिन भर चलने वाले इस सम्मेलन में 70 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें 20 विदेश मंत्री और 10 उप विदेश मंत्री शामिल हैं। युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच, अगस्त के मध्य में तालिबान द्वारा काबुल में सत्ता पर नियंत्रण हासिल किये जाने के बाद देश की अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट का सामना कर रही है।