150 रुपए के पार पहुंचेगा पेट्रोल का दाम, अब दूध भी पाकिस्तान में हो रहा महंगा

जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह थोड़ी कम है।

Update: 2022-02-14 07:26 GMT

पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है और इसकी मार वहां के लोगों के ऊपर तेजी से पड़ रही है। इसी कड़ी में पाकिस्तान में पहली बार पेट्रोल का दाम 150 रुपये प्रति लीटर पार कर गया है। इतना ही नहीं बढ़ती महंगाई के बीच कराची में दूध की कीमतें 60 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं, इसके साथ ही देश में अन्य चीजों की कीमतें भी बढ़ रही है। इसके चलते विपक्षी दल इमरान खान सरकार के खिलाफ और तेजी से खड़े हो गए हैं और इमरान खान सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

दरअसल, सरकार की गलत आर्थिक नीतियों ने कुछ देशों को बदहाली के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है, इसमें से एक पाकिस्तान भी शामिल है। पाकिस्तान में तो हालत यह है कि यहां रसोई गैस की कीमतों से लोग पहले से ही परेशान हैं। देश में घरेलू सिलेंडर के दाम 2,560 रुपये पर पहुंच चुके हैं। वहीं, कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम 9,847 रुपये पर हैं।
पेट्रोल के अलावा दूध और चीनी भी महंगी:
इधर पेट्रोल से पहले ही पाकिस्तान में दूध के दाम 150 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच चुके हैं और चीनी की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं। इतना ही नहीं मटन, चिकन, दाल और अन्य चीजों के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं। कीमतों में इस पैमाने में तेजी की वजह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को कुछ दिन पहले स्वीकार करना पड़ा था कि उनका देश काफी अधिक महंगाई का सामना कर रहा है।
न्यूज एजेंसी ने डेयरी एंड कैटल फार्मर्स एसोसिएशन (डीसीएफए) के हवाले से बताया कि इसके अध्यक्ष शाकिर उमर गुर्जर ने इमरान खान को एक पत्र लिखकर कहा कि अगर सरकार 17 फीसदी बिक्री कर वापस नहीं लेती है तो कराची में दूध की कीमतें बढ़ सकती हैं। वहीं पिछले हफ्ते, किसानों के प्रतिनिधियों ने भी कृषि उपज पर 17 प्रतिशत सामान्य बिक्री कर का विरोध करने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं।
मुद्रास्फीति की दर चिंताजनक
मुद्रास्फीति के साथ भी पाकिस्तान की समस्या जारी है क्योंकि यह दो साल के उच्च स्तर 12.96 प्रतिशत पर पहुंच गया है जिससे इमरान खान सरकार को और परेशानी हो रही है। मुद्रास्फीति की यह प्रवृत्ति पिछले छह महीनों से लगातार लगभग 10 प्रतिशत की औसत दर पर बनी हुई है, जो दो साल के उच्च स्तर 12.96 प्रतिशत पर पहुंच गई है। शहरी क्षेत्रों में खाद्य मुद्रास्फीति लगभग 14 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह थोड़ी कम है।


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