ऑस्ट्रिया में लोग हाथ में तिरंगा लिए 'सारे जहां से अच्‍छा हिन्‍दोस्‍तां हमारा' गाते आए नजर, भारतीयों ने बजाई तालियां

अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो शर्मा ने इस गीत की पहली पंक्ति कही।

Update: 2022-07-16 05:48 GMT

विएना: ऑस्ट्रिया में लोग हाथ में तिरंगा लिए 'सारे जहां से अच्‍छा हिन्‍दोस्‍तां हमारा' गाते हुए नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर ये एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। ऑल इंडिया रेडियो न्‍यूज ने अपने ट्विटर हैंडल से ये वीडियो ट्वीट किया है। वीडियो कब का है, इस बात की कोई जानकारी नहीं है लेकिन लोगों को काफी पसंद आ रहा है। वो इसे ट्विटर पर तो शेयर कर ही रहे हैं साथ ही साथ इसे कई हजार बार देख भी चुके हैं। ये वीडियो ऑस्ट्रिया के मशहूर कार्यक्रम टायरोलियन इवनिंग का है। पारंपरिक वेशभूषा में सजे कुछ लोग इसे गाते हुए नजर आ रहे हैं तो कार्यक्रम में आए भारतीयों को इसका आनंद उठाते हुए देखा जा सकता है।

क्‍या है 'सारे जहां से अच्‍छा'



भीड़ में मौजूद भारतीय इस गीत को बेहतरी से गाने के लिए परफॉर्मेस के लिए तालियां भी बजा रहे हैं और उन्‍हें चीयर कर रहे हैं। टायरोलियन ईवनिंग का आयोजन ऑस्ट्रिया में पिछले कई सालों से होता आ रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्‍य रूप से दुनियाभर के संगीत पर जोर दिया जाता है। आर्टिस्‍ट्स अपने-अपने तरीकों से इसे दर्शकों के सामने लाते हैं। इस कार्यक्रम का मुख्‍य आकर्षण यूडलिंग है। ऑस्ट्रिया के लोग तो यहां पहुंचते ही हैं साथ ही साथ अंतरराष्‍ट्रीय दर्शक भी इसका लुत्‍फ उठाने यहां पर आते हैं।
जो गीत ऑस्ट्रिया में लोकप्रिय हो रहा है, वो दरअसल उर्दू में लिखा गया है। 'सारे जहां से अच्‍छा, हिन्‍दोस्‍तां हमारा' को उस समय लिखा गया था जब भारत ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। ये गीत उस समय विरोध का प्रतीक माना गया और आज भी लोकप्रिय है। कई लोग इसे अनौपचारिक तौर पर भारत का राष्‍ट्रीय गीत तक करार देते हैं।
इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इकबाल ने सन् 1905 में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था। यह इकबाल की लिखी कविता बंग-ए-दारा किताब में शामिल था। उस समय इकबाल लाहौर के सरकारी कालेज में प्रोफेसर थ। उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया गया था। तब इकबाल ने भाषण देने के बजाय यह गजल गाई और हर दिल अजीज बन गए।
यह गजल हिन्दुस्तान की तारीफ में लिखी गई। आज भी इसे अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच भाई-चारे की भावना बढ़ाने के लिए बेहरीन उदाहरण माना जाता है। इतना ही नहीं सन् 1950 में सितार वादक पंडित रवि शंकर ने इसे सितार पर सुरों से सजाया था। फिर जब इंदिरा गांधी ने भारत के प्रथम अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो शर्मा ने इस गीत की पहली पंक्ति कही।


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