अफगानिस्तान में बिजली की किल्लत से जूझ रहे लोग, बुनियादी संसाधनों का भी अकाल
अफगानिस्तान में बिजली की किल्लत से जूझ रहे लोग
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से देश के हालात बद से बदतर हो गए हैं। आतंकी संगठन ने अगस्त के महीने में अफगान की हुकूमत पर कब्जा कर लिया था। तब से अब तक करीब चार महीनों का वक्त बीतने के बाद देश में तमाम बुनियादी दिक्कतों ने सर उठाना शुरू कर दिया है। आलम ये है कि यहां देश के लोगों को बिजली आपूर्ति तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। क्यों कि अफगान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा होने के बाद तमाम बिजली आपूर्ति परियोजनाओं रोक दिया गया था।
विश्व समुदाय ने रोकी सहायता
टोलो न्यूज के मुताबिक, दा अफगानिस्तान ब्रेशना शेरकट (डीएबीएस) के अधिकारियों का कहना है कि फंड की कमी के कारण परियोजनाओं को रोका गया है। क्यों कि एशियन डेवलेपमेंट बैंक, विश्व बैंक और अमेरिका से मिलने वाले आर्थिक सहयोंग को निरस्त कर दिया गया है।
अधर में रुकी परियोजनाएं
तुर्कमेनिस्तान की सीमा से शेबर्गन के अकीना बंदरगाह, कुंदुज के अल्वाज़ुन मैदान और काबुल के अरघांडी जिले में बिजली देने वाले अफगानिस्तान का 500 केवी बिजली संचरण भी रोकी गई परियोजनाओं में से एक है। यहां महज 10 फीसदी काम पूरा होना बाकी बचा है। डीएबीएस के कार्यकारी प्रमुख सफीउल्लाह अहमदजई ने कहा 500 केवी लाइन परियोजना का 90 फीसदी पूरा हो गया है और इसका केवल 10 फीसदी काम बाकी है। यदी अगर एशियन डेवलेपमेंट बैंक इसे अनुमति देता है, तो हम अगले छह महीनों में इसके बाकी काम को पूरा कर सकते हैं।
ठंड में बढ़ी परेशानी
टोलो न्यूज ने डीएबीएस अधिकारियों के हवाले से बताया है कि, काबुल में बिजली की कमी को पूरा करने के लिए दो और बिजली सबस्टेशनों के निर्माण की आवश्यकता होगी। जिसमें करीब चार करोड़ अमरीकी डालर का खर्च आएगा। इस बीच, काबुल के रहवासियों ने बिजली की किलत को लेकर शिकायत की है। उन्होंने कहा है कि सर्दीयों की शुरुआत होते ही बिजली की कमी बढ़ गई है। बिजली रात के वक्त आठ या नौ बजे आती है, जो हमारे किसी काम की नहीं है।